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Times heals everything का सच - अतीत के परे क्या होता है?

अंग्रेजी में एक काफी मशहूर कहावत है  "Times heals everything"  सुनने में ये पंक्ति काफी अच्छी लगती है पर वास्तविकता से ये लाइन कोसों दूर है.

Panchayat Series : गांव के मुद्दे हैं, कॉमेडी है लेकिन सिनेमा की मैच्योरिटी भी है

Panchayat Series गांव की कहानी है, ठीक वैसे लिखी गई जैसे रेणु सत्तर साल पहले मैला आंचल लिखते हैं,

Travel Talk : पहाड़ और वहां बुरांश का मौसम

जब पहली झलक इस दहकते पेड़ की मिली तो आंखें चमक गईं . लेकिन जब बुरांश के पेड़ से गले लगी तो मन भर आया. लगा कि यह पढ़ रहा है मेरा मन.

Buddha Purnima 2022 : बुद्ध क्यों कहते हैं "अप्प दीपो भव"

मांगे हुए ज्ञान या प्रकाश से बुद्ध तथागत नहीं बनते. तथागत बनने के लिए तथा+गत अर्थात 'वह जो जैसा आया था वैसा ही चला गया' को साधना होता है

हिंदी को बुरा-भला वही कहते हैं जिनका इससे Business बढ़ता है

हिंदी में कंटेंट आपका, रिसर्च भी आपकी लेकिन व्यापारी कहते हैं देखिए 35 पैसे प्रति शब्द दे सकते हैं, मार्केट में यही रेट है.

Books In My Life : ज्ञान का असली स्रोत मेरे लिए किताबें ही हैं

किताबों ने मेरी दुनिया बदली और आज भी ज्ञान का असली श्रोत मेरे लिए किताबें ही हैं. किताबों ने दोस्त दिए.

Going Back to Bollywood Lane -एक स्त्री के मन की पगडंडियों पर कुछ देर चहलकदमी करती फिल्म है अनुभव (1971)

फ़िल्म में अतीत को लेकर छिटपुट संवाद जरूर है पर निर्देशक ने पूरी तवज्जो केवल वर्तमान को देकर फ़िल्म को नोस्टाल्जिया से पूरी तरह मुक्त रखा है

Pandit Shiv Kumar Sharma : मां-बेटी की एक साझा याद

मैंने बेटी को फ़ोन करके बताया कि पद्मश्री पंडित शिवकुमार शर्मा नहीं रहे.हमदोनों के बीच एक सन्नाटा पसर गया कुछ पल के लिये.

बच्चे को जन्म देना एक Biological Process है, मातृत्व का अनावश्यक Glorification बन्द हो

माँ थकती है, बहुत थकती है. माथे, चेहरे से लेकर तन-मन पर सिलवटें पड़ती हैं. जो आप जान-बूझकर नज़र-अंदाज़ करते हैं.

Mid-Day Meal: यहां के स्टूडेंट्स को मिल रहा है गांव की औरतों के हाथों तैयार भोजन, खुशी-खुशी खाते हैं बच्चे

इस मिड डे मील की सबसे ख़ास बात यह थी कि यह दिल्ली या शहरों के विद्यालयों की तरह कहीं बाहर से तैयार होकर नहीं आता.