(लक्ष्मी शर्मा)

बुद्ध जब कहते हैं 'अप्प दीपो भव' अर्थात अपना दीपक आप बनो, तो वे उदाहरण भी बनते हैं.

वे केवल दीपक ही नहीं बनते, संयम से अपनी बाती खुद बटते हैं. अपनी करुणा का स्नेह स्वयं बनते हैं और अपने आत्म को चेतन कर बाती की उज्ज्वल शिखा भी स्वयं बनते हैं.

मांगे हुए ज्ञान या प्रकाश से बुद्ध तथागत नहीं बनते. तथागत बनने के लिए तथा+गत अर्थात 'वह जो जैसा आया था वैसा ही चला गया' को साधना होता है और इसे साध कर ही बुद्ध या कोई तथागत बन सकता है.

बुद्ध का औज्जवल्य हम सभी का पथ प्रशस्त करे.

शुभकामनाएं.

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(लेखिका लक्ष्मी शर्मा की यह टिप्पणी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आई है. डीएनए ने इसे साभार उनकी फेसबुक वॉल से लिया है. )

Lakshmi Sharma

(यहां दिये गये विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

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Why does Buddha say App Deepo Bhava by Lakshmi Sharma
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Buddha Purnima 2022 : बुद्ध क्यों कहते हैं "अप्प दीपो भव"
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Buddha Purnima 2022 : बुद्ध क्यों कहते हैं "अप्प दीपो भव"