देह विकलांग हो तो जरूरी नहीं कि सोच भी हो विकलांग, समझाती हैं कथाकार कंचन सिंह चौहान
Straightforward: कथाकार कंचन सिंह चौहान मानती हैं कि शारीरिक कमी को, विकलांगता को दिव्यांग कहने और लिखने का सुझाव अटपटा है. बल्कि अटपटा ही नहीं, उपहास उड़ाने जैसा है. देह की किसी कमी को सहज रूप से देखे जाने की जरूरत है. न उसे हेय दृष्टि से देखे जाने की जरूरत है और न ही सहानुभूति जताने वाले भाव से.
स्त्री के अंतर्मन को समझने की नई दृष्टि देता है साझा कविता संग्रह 'प्रतिरोध का स्त्री-स्वर'
Book Review: कविताओं के साझा संग्रह प्रतिरोध का स्त्री-स्वर में यूपी से 7, एमपी, बिहार और झारखंड से 3-3, दिल्ली से 2 और राजस्थान व महाराष्ट्र से 1-1 कवियां शामिल की गई हैं. इन कविताओं में स्त्री का दर्द, उसका संघर्ष किसी प्रदेश विशेष से नहीं बंधा है, वह वाकई भारतीय स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करता है.
प्रभात रंजन ने अनुवाद को बताया विशिष्ट कर्म, कहा- साहित्य रचकर जीविका नहीं चला सकते
अनुवाद सिर्फ इसलिए नहीं करना चाहिए कि इससे आप एक बड़े पाठक वर्ग तक पहुंच जाएंगे या इससे आपको आर्थिक लाभ होगा, बल्कि इसलिए भी करना चाहिए कि आप जब किसी भी दूसरी भाषा से अपनी भाषा में अनुवाद करते हैं तो लेखक की अपनी भाषा की सीमा का विस्तार होता है.
राज्यसभा सांसद महुआ माजी का तीसरा उपन्यास जल्द आएगा सामने, जानें इस बार किस मुद्दे पर चली है कलम
महुआ माजी कहती हैं कि लेखक के पास दो चुनौतियां होती हैं, एक तो यह कि वह किसी की कॉपी न करे और दूसरा कि वह खुद की भी कॉपी न करे. एक बात यह भी है कि किसी विषय को, किसी कहानी को पकने में वक्त लगता है. इस वजह से भी मेरे तीसरे उपन्यास को आने में वक्त लग रहा है.
क़ैद बाहर: काल की गिरफ्त से बाहर आती उत्तर आधुनिक युग की थेरी गाथाएं
अभी स्त्री पूर्ण रूप से अपने उद्देश्य को पहचान नही पाई है ये थेरियां, स्वतंत्र होना तो जान गई है अपने लिए अपने फ़ैसले लेकर कदम तो आगे बढ़ाने लगी है पर उसके बाद क्या? ये सवाल सुलझाने में शायद कुछ समय लगेगा.
"हंस" लिट्रेचर फेस्टिवल में तीन पीढ़ी के साहित्यकारों ने जमाया रंग, लेखिकाओं ने की बढ़-चढ़कर की हिस्सेदारी
हंस पत्रिका ने बीते दिनों नई दिल्ली के पास स्थित बीकानेर हाउस में एक बहुत बड़ा साहित्यिक उत्सव मनाया.
Writers Note : एक अच्छा गद्य खिड़की के शीशे की तरह होता है - जॉर्ज ऑर्वेल
1946 में जॉर्ज ऑर्वेल ने शानदार लेख लिखा था मैं क्यों लिखता हूं? लेखन के अलग पक्षों के बारे में बात करते हुए ऑरवेल अपने लेखन के प्रति भी निर्मम हैं.
Book Review : समसामयिक भारत में अंतर्विरोधों का आख्यान है 'ऑक्सीयाना और अन्य कहानियां'
Book Review : युवा रचनाकार नितिन यादव की किताब की समीक्षा करते हुए कथाकार-कवि देवेश पथ सारिया कहते हैं, "ऑक्सीयाना और अन्य कहानियां' युवा कहानीकार नितिन यादव का पहला कहानी संग्रह है और इसे पढ़कर यह कहा जा सकता है कि पहले संग्रह के हिसाब से कहानीकार ने चुनौतीपूर्ण विषयों का चयन किया है."
Feminism & Literature : इस्मत चुगताई की कहानी लिहाफ का नया पाठ
लिहाफ़ सदा से मुझे सेक्स-डिप्राइव कुलीन स्त्री के हिंसक रूप की कहानी नज़र आती है. सुदीप्ति के द्वारा लिहाफ कहानी का नया पाठ.
उर्दू के मशहूर साहित्यकार गोपी चंद नारंग का निधन, अमेरिका में ली आखिरी सांस
गोपीचंद नारंग की पढ़ाई भी दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से हुई थी. उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में उर्दू साहित्य भी पढ़ाया.