डीएनए हिंदी: उर्दू के मशहूर साहित्यकार गोपी चंद नारंग का निधन हो गया है. 91 वर्षीय नारंग अमेरिका में रह रहे थे. उन्होंने 57 किताबें लिखी थीं. उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं में उर्दू अफसाना रवायात और मसायल, इकबाल का फन,अमीर खुसरो का हिंदवी कलाम, जदीदियत के बाद शामिल हैं. वह मूल रूप से बलूचिस्तान से थे.

दिल्ली में हुई थी पढ़ाई
गोपीचंद नारंग की पढ़ाई भी दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से हुई थी. उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में उर्दू साहित्य भी पढ़ाया. कुछ समय बाद वह दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग से जुड़ गए. यहां 1961 में वह रीडर के पद पर रहे थे.

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पुरस्कार और सम्मान
हिंदी औ उर्दू के अलावा बलोची और पश्तो समेत छह भारतीय भाषाओं पर भी उनकी कमाल की पकड़ थी. उन्होंने उर्दू ही नहीं, हिंदी व अंग्रेजी में भी किताबें लिखी हैं. उन्हें पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. इसके अलावा वह पाकिस्तान के तीसरे सर्वोच्च अलंकरण 'सितार ए इम्तियाज' से भी विभूषित किए गए थे. 1985 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने प्रो. गोपी चंद नारंग को गालिब पुरस्कार से सम्मानित किया था.

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मशहूर उर्दू साहित्यकार गोपी चंद नारंग का निधन, अमेरिका में ली आखिरी सांस
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मशहूर उर्दू साहित्यकार गोपी चंद नारंग का निधन, अमेरिका में ली आखिरी सांस