बॉम्बे हाई कोर्ट ने (Bombay High Court) हाल ही में एक फैसले में पारिवारिक अदालत के उस आदेश को सही ठहराया जिसमें पति को पत्नी की मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक दिया गया था. इस मामले में पत्नी ने पति और उसके परिवार पर झूठे आपराधिक मामले दर्ज करवाए थे. जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और अद्वैत सेठना की पीठ ने कहा, 'झूठे मुकदमों से पति और उसके परिवार को न केवल सामाजिक कलंक झेलना पड़ा, बल्कि उन्हें गंभीर मानसिक और भावनात्मक परेशानी का सामना करना पड़ा. यह मानसिक क्रूरता की परिभाषा में आता है.

झूठे आरोपों से रिश्तों पर असर
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि शादी में विश्वास, सम्मान और स्नेह जरूरी है. जब कोई झूठे मुकदमे का सहारा लेता है, तो यह दिखाता है कि वह विवेक और तर्कशीलता खो चुका है. कोर्ट ने टिप्पणी की, झूठे आरोपों का मकसद पति का व्यवहार सुधारना नहीं हो सकता. यह न्याय प्रणाली का दुरुपयोग है.  

पति पर झूठा आरोप लगाया था
जस्टिस कुलकर्णी ने अपने निर्णय में पारिवारिक न्यायालय के आदेश और आपराधिक न्यायालय के निष्कर्षों पर गौर करते हुए कहा कि, यह स्पष्ट है कि अपीलकर्ता (पत्नी) ने पति पर झूठा आरोप लगाया था, जिसे आपराधिक न्यायालय ने भी सत्यापित किया है. उन्होंने आगे कहा कि यह हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu marriage Act), 1955 की धारा 13(1)(i-a) के अनुसार क्रूरता मानी जाएगी.


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सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला
2018 में पारिवारिक अदालत द्वारा तलाक का आदेश दिया गया था, लेकिन पत्नी ने इस फैसले को चुनौती दी. हाई कोर्ट ने पाया कि पति ने अपील के लंबित रहने के दौरान पुनर्विवाह कर लिया, क्योंकि अंतरिम आदेश में तलाक पर रोक नहीं लगाई गई थी. हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि झूठे मुकदमे मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आते हैं. कोर्ट ने पारिवारिक अदालत के आदेश को सही ठहराया और कहा कि इसमें कोई अनियमितता नहीं है. 

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bombay high court in his recent judgement said false accusations sec 498 a against the husband point to mental cruelty and the high court has upheld the divorce judgment hindu marriage act
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पति पर झूठा केस मानसिक क्रूरता की निशानी, High Court ने तलाक के फैसले को ठहराया
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पति पर झूठा केस मानसिक क्रूरता की निशानी, High Court ने तलाक के फैसले को ठहराया सही, जानें पूरी बात
 

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