डीएनए हिंदी: खुश रहना एक ऐसी कला है जिसकी वजह से कई बीमारियों से आप बचे रह सकते हैं, वहीं बेवजह और बात-बात पर रोना, दुखी रहना आपको बीमार बना सकता है. दरअसल, हमारे हर भाव से हमारे शरीर में अलग-अलग हार्मोन और रसायन पैदा होते हैं. हमारी सेहत इन हार्मोन पर भी निर्भर करती है.
यह तो साबित हो ही चुका है कि हमारे रोने और हंसने पर निकले आंसुओं के रसायन अलग-अलग होते हैं. आपने अपने आप में महसूस किया होगा कि जब आप दुखी होते हैं तो अजब सी एंग्जाइटी से घिरे होते हैं. और जब खुश रहते हैं तो आपको सारी चीजें खुश नजर आती होंगी.

मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चिंता

हाल के दिनों में खासकर कोविड के बाद से मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी चिंता बन चुका है. इस दौरान डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी बीमारियां लोगों को आसानी से अपना शिकार बना रही हैं. इन बीमारियों को हम अपनी थोड़ी सी सजगता से दूर रख सकते हैं. उचित खानपान बेहद जरूरी है. आपकी डाइट आपको मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकती है. दरअसल, इन बीमारियों का संबंध विटामिनों से भी है. कुछ विटामिनों की कमी शरीर को तो प्रभावित करती ही है. आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी हमला बोलती है.

विटामिन डिफिशिएंसी का प्रभाव

हेल्थ शॉट्स की एक रिपोर्ट मानसिक स्वास्थ्य पर विटामिन डिफिशिएंसी के प्रभाव के बारे में बताती है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि विटामिन डिफिशिएंसी का कैसा नकारात्मक प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. रिपोर्ट में इन महत्वपूर्ण विटामिन के डाइटरी सोर्स भी बताए गए हैं.

विटामिन के ये चार यार

विटामिन B1 : मेमोरी लॉस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, इरिटेशन और इनसोम्निया की स्थिति विटामिन बी1 की कमी से हो सकती है. हमारा ब्रेन इस विटामिन का इस्तेमाल कर ग्लूकोज और ब्लड शुगर को एनर्जी में बदल देता है. ऐसे में शरीर में विटामिन B1 की कमी हो जाए तो ब्रेन के पास सामान्य रूप से फंक्शन करने के लिए पर्याप्त एनर्जी नहीं होती और मानसिक समस्याएं पैदा होने लगती हैं. बी1 की कमी से थकान, भूख की कमी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है.
विटामिन B12 : रेड ब्लड सेल्स के फॉर्मेशन में विटामिन B12 का बेहद महत्त्वपूर्ण रोल होता है. इसकी डिफिशिएंसी से ब्लड में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होता और एनीमिया की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. ऐसी स्थिति में मूड स्विंग्स, इरिटेशन, कन्फ्यूजन, डिमेंशिया या हल्लुसीनेशन जैसे मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर हो सकते हैं. ओल्ड एज में यह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. मछली, मीट, अंडा, लो फैट और फैट फ्री मिल्क में B12 की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है. 
विटामिन D : विटामिन डी शरीर में एड्रेनालाइन, नॉरएड्रेनालाइन और डोपामाइन के बनने को नियंत्रित करता है. यह ब्रेन फंक्शन के लिए महत्त्वपूर्ण हार्मोन है. विटामिन डी की कमी से थकान, मांसपेशियों में कमजोरी, बालों का झड़ना, पीठ दर्द, त्वचा संबंधी समस्याएं, हड्डियों में दर्द और मूड में बदलाव होते हैं. विटामिन डी की कमी से डिप्रेशन और एंग्जाइटी के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं. धूप विटामिन डी का बड़ा स्रोत है. साथ ही मशरूम, अंडा, फैटी फिश, फोर्टीफाइड फूड्स, ग्लूटेन फ्री ओट्स आदि में भी विटामिन डी की मात्रा पाई जाती है.
ओमेगा 3 फैटी एसिड : ओमेगा 3 फैटी एसिड ब्रेन फंक्शन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह व्यक्ति को मानसिक रूप से अधिक सक्रिय रहने में मदद करता है. ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा पॉजिटिव माइंड सेट एस्टेब्लिश करने में मदद करती है. ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी से मूड स्विंग्स और डिप्रेशन जैसे मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा थकान, यादाश्त की कमी, ड्राई स्किन, हृदय संबंधी समस्या और ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है. फ्लैक्स सीड्स, ऑयली फिश, अखरोट, हरी पत्तेदार सब्जियां, चिया सीड्स आदि में ओमेगा 3 फैटी एसिड की पर्याप्त मात्रा होती है.

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Vitamins for Mental Health : विटामिन के ये चार यार करते हैं मेंटल हेल्थ से प्यार
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एआई से जेनरेट की गई मेंटल हेल्थ की ग्राफिकल तस्वीर.
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Vitamins for Mental Health : विटामिन के ये चार यार करते हैं मेंटल हेल्थ से प्यार, जानें इनके सोर्स

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