अफवाहों में लगे होते हैं पंख, बड़ी तेजी से अपने कब्जे में कर लेती हैं पूरा गांव

Don't Spread Rumors: रिश्तेदार इसे सुनती है और गोश्त खरीदने चली जाती है. वह कसाई से बोलती है 'एक पाउंड गोश्त दे दो या ऐसा करो कि जब गोश्त काटा ही जा रहा है तब बेहतर है कि दो पाउंड... मुझे कुछ ज्यादा दे दो, क्योंकि लोग यह कहते फिर रहे हैं कि गांव के साथ कुछ बहुत बुरा होने वाला है.'

और ऐसे फैल गई अफवाह... महिला ने देखा बुरा सपना और अनहोनी की आशंका से डर गया पूरा गांव

Don't Spread Rumors: 'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' मार्केज की लाजवाब कहानियों में एक है. इस कहानी में उन्होंने अफवाह फैलने के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक वजहों की अभिव्यक्ति बहुत सहज तरीके से की है. उन्होंने दिखाया है कि एक बुरे सपने की कहानी कैसे बुरा होने की आशंका में तब्दील होती है.

सोने के आधे शरीर वाला नेवला क्यों लोट रहा था पांडवों के भंडार गृह में, जानिए क्या है रहस्य

Strange Mongoose: श्रीकृष्ण ने पांडवों से कहा- ‘बंधुओं, यह सत्य है कि आपका यज्ञ अद्वितीय था, जिसमें आप लोगो ने निर्धनों को जी खोलकर दान दिया और असंख्य भूखे व्यक्तियों की भूख-शांत की, किन्तु उस परिवार का दान आपके यज्ञ से बहुत बड़ा था क्योंकि उनलोगों ने उस स्थिति में दान दिया, जब उनके पास कुछ नहीं था.

नेवले का आधा शरीर इस वजह से हो गया था सोने का, जानें महाभारत काल की यह रोचक कथा

Strange Mongoose: सोने के आधे शरीर वाले नेवले ने युधिष्ठिर को एक बेहद गरीब परिवार की कहानी सुनानी शुरू की. नेवले ने बताया कि कैसे इस परिवार ने अपनी रोटियां एक अनजान साधु की भूख मिटाने के लिए दे दिया. फिर कई दिन भूखे रहने की वजह से इस परिवार के सभी सदस्यों की मौत हो गई.

कौन था सोने के आधे शरीर वाला विचित्र नेवला? युधिष्ठर का दान-पुण्य क्यों पड़ा फीका? जानें पूरी कथा

Strange Mongoose: एक नेवला राजमहल के भंडार गृह से निकलकर धरती पर लोटने लगा. ऐसा उसने चार-पांच बार किया. यह विचित्र हरकत देख पांडवों को बड़ा आश्चर्य हुआ. धर्मराज युधिष्ठिर पशु-पक्षियों की भाषा समझते थे. वह उठे और भंडार गृह तक जाकर बोले- ‘हे नेवले, यह तुम क्या कर रहे हो? तुम्हें किस वस्तु की तलाश है?’

Gulzar Jnanpith Award: थोड़ा और 'गुलजार' हुआ भाषा को प्रोत्साहित करने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार

Gulzar Work As Lyricist: साल 2023 के ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Awards 2023) की घोषणा हो चुकी है. मशहूर गीतकार गुलजार और संस्कृत के विद्वान रामभद्राचार्य को यह सम्मान दिया जा रहा है.

इस यहूदी बच्चे का साहस और संघर्ष आपको कर सकता है प्रेरित

Maxim Gorky: गोर्की का लिखा 'मेरा बचपन' के सारे चरित्र तत्कालीन संघर्षों और कठिनाइयों का ब्योरा पेश करने जैसे हैं. अपने अंतिम उपन्यास 'द लाइफ ऑफ क्लीम समगीन' में गोर्की ने पूंजीवाद के उत्थान और पतन की कहानी है. गोर्की ने इसे विकास का नाम दिया है.

क्यों रो रहा था वो घुंघराले बालों वाला यहूदी लड़का?

Maxim Gorky Story: कहने की जरूरत नहीं कि मैक्सिम गोर्की की आस्था मार्क्सवाद में गहरे थी. 'वह लड़का' कहानी भी आर्थिक विषमता की ओर इशारे करती है, मेहनतकश बच्चे के साहस का वर्णन करती है. यह वर्णन ऐसा है कि आप भी उत्साह से भर जाएं. पढ़ें 'वह लड़का' की दूसरी किस्त.

'वह लड़का' कितना करिश्माई है, बेजान मन में जान भर देने वाला - जानें कौन है वो

Maxim Gorky Story: मैक्सिम गोर्की का भरोसा मार्क्सवाद में रहा. 1884 में गोर्की का मार्क्सवादियों से परिचय हुआ और महज चार साल बाद यानी 1888 में गोर्की पहली बार गिरफ्तार किए गए. 1892 में गोर्की की पहली कहानी "मकर छुद्रा" छपी. गोर्की की शुरुआती रचनाओं में रोमांसवाद और यथार्थवाद का मेल दिखाई देता है.

पद्मश्री डॉ. उषाकिरण खान का पटना में निधन, हिंदी और मैथिली में किया है बहुविध लेखन

Ushakiran Khan: उषाकिरण खान पटना के मेदांता अस्पताल में भर्ती थीं. आज दिन के 3 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली. वे कई दिनों से बीमार थीं. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. उषाकिरण खान दरभंगा जिले के लहेरियासराय की रहने वाली थीं.