नहीं रहे Hastimal Hasti, जगजीत सिंह से लेकर पंकज उधास तक ने गाई हैं इनकी गजलें
मशहूर साहित्यकार हस्तीमल हस्ती का सोमवार 24 जून को मुंबई में 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. हस्तीमल हस्ती पिछले 5 दशक से मुंबई में सक्रिय रहकर साहित्य सेवा में लगे थे.
Book Review: शंभु बादल की कविताओं में मुखर है झारखंडी आवाज
Book Review: शंभु बादल की कविता 'गुजरा' उस स्वर का एक्स्टेंशन दिखती है जो 'कोल्हा मोची' में सुनाई पड़ता है. 'कोल्हा मोची' में कवि दिकुओं की पहचान करने को कहता है, लेकिन 'गुजरा' कविता में पहुंच कर कवि चाहता है कि हम खुद की पहचान करें, अपनी खूबियों की पहचान करें, अपने महत्त्व की पहचान करें.
Book Review : मानवीय चिंताओं से लबरेज कविता संग्रह 'मनुष्य न कहना'
Book Review: ममता जयंत के कविता संग्रह 'मनुष्य न कहना' की कई कविताएं अपील करती हैं. 'तुम भगवान तो नहीं' शीर्षक कविता आज की राजनीति की ओर इशारा करती है और यह भी बताती है कि कवि इस स्थिति से नाखुश है.
'जाति के बारे में सार्वजनिक रूप से नहीं कर सकते बात...' प्रेमचंद जयंती पर मनोज झा ने पूछे गंभीर सवाल
मुंशी प्रेमचंद की जयंती के मौके पर हंस पत्रिका द्वारा 39वीं वार्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का विषय रहा, समाज से सियासत तक- कैसे टूटे जाति? इस अहम विषय पर तमाम प्रख्यात लोगों ने अपनी राय रखी.
सुधांशु गुप्त और 'कैद बाहर' के लिए गीताश्री को मिला पहला शिव कुमार शिव स्मृति सम्मान
पहले शिव कुमार शिव स्मृति सम्मान की घोषणा हो गई है. सुधांशु गुप्त को उनके कहानी संग्रह 'तेहवां महीना' और गीताश्री को उनके उपन्यास 'कैद बाहर' के लिए यह सम्मान दिया जाएगा.
साधु का घोड़ा चुराकर पछताया डाकू, एक रात में हुई घर वापसी
Haar Ki Jeet: 'हार की जीत' सुदर्शन की हिंदी में लिखी पहली कहानी है जो 1920 में 'सरस्वती' पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. इसे पढ़ते हुए महसूस करेंगे कि हर इन्सान में इन्सानियत होती है. वक्त के थपेड़ों से वह भले दब जाती है, पर हल्की सी कोई कौंध सामने आती है और डाकू को भी नेकदिल इन्सान बना जाती है.
लखनऊ में 2 मार्च से शुरू होने जा रहा पुस्तकों का महाकुंभ, एंट्री होगी बिल्कुल मुफ्त
Lucknow Book Fair: लखनऊ में इस साल का पहला बुक फेयर 2 मार्च से शुरू होने जा रहा. यह बुक फेयर लखनऊ के चारबाग स्थित रविंद्रालय ग्राउंड में 10 मार्च तक चलेगा. सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक चलने वाले इस मेले में एंट्री बिल्कुल मुफ्त रखी गई है और देश भर के प्रकाशक यहां अपनी किताबों के साथ आ रहे हैं.
आखिर राजा श्रेणिक ने एक आम चोर को क्यों अपना गुरु मान लिया
Inspirational Story: आम चोर अपनी ओर आकर्षित करने की विद्या जानता था. राजकुमार अभयकुमार के कहने पर राजा श्रेणिक ने उस आम चोर से आकर्षणी विद्या सीखना शुरू किया. इस तरह राजा श्रेणिक का गुरु बन गया एक आम चोर. खास बात यह कि कहानी का यह हिस्सा हमें गुरु के महत्त्व और उनके प्रति सम्मान करने की सीख देता है.
राजमहल के बाग से फूल चुराने वाली युवती को शादी की पहली रात कौन सा वादा पूरा करना था
Inspirational Story: महाराजा श्रेणिक ने आम के ये पेड़ खास तौर से महारानी चेलना के लिए लगवाए थे. इन पेड़ों पर सालों भर आम फलते थे. लेकिन कड़ी पहरेदारी के बाद भी इस बाग से रोज आम की चोरी होने लगी. तब महाराजा के आदेश पर राजकुमार अभयकुमार ने अपनी बुद्धिमानी से चोर को कैसे पकड़ा, जानें इस कहानी को पढ़कर.
सेंट्रल जेल में लिखी गई एक कविता ने उड़ा दी थी अंग्रेजी हुकूमत की नींद, जानें विस्तार से
Pushp Ki Abhilasha: अंग्रेजी हुकूमत ने देश के प्रिय कवि-पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी को राजद्रोह के केस में गिरफ्तार कर बिलासपुर सेंट्रल जेल के बैरेक नंबर 9 में रखा था. 8 महीने की सजा काटने के दौरान जेल में ही माखनलाल ने 28 फरवरी 1922 को 'पुष्प की अभिलाषा' कविता लिखी.