जेल में बंद एक देशभक्त कैदी ने 1921 में एक ऐसी कविता लिखी, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींद उड़ा दी और आजादी के दीवानों में जोश भर दिया. यह कैदी कोई और नहीं बल्कि लेखक, कवि और पत्रकार पंडित माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) थे. और जिस कविता ने अंग्रेजी शासन की चूलें हिला दी थी, वह थी - पुष्प की अभिलाषा (Pushp ki Abhilasha).

वह दौर असहयोग आंदोलन का था. जालियांवाला बाग हत्याकांड को अंग्रेज अंजाम दे चुके थे. देश के लोगों में जबर्दस्त रोष था. इस रोष को आजादी के जोश में बदलने की मंशा से भरे नेता, पत्रकार और साहित्यकार अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे थे.

DNA Lit की शेष सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें.

राजद्रोह का मुकदमा

एआई की परिकल्पना में भाषण देते माखनलाल चतुर्वेदी.
एआई की परिकल्पना में भाषण देते माखनलाल चतुर्वेदी.

इसी समय कवि-पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी ने जून की चिलचिलाती गर्मी में बिलासपुर के शनिचरी बाजार के मंच पर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जबर्दस्त भाषण दिया. इस भाषण ने उस सभा में मौजूद तमाम श्रोताओं को जोश से भर दिया. यहां अपना काम खत्म कर माखनलाल चतुर्वेदी जबलपुर चले गए. लेकिन इस भाषण से तिलमिलाए अंग्रेजों ने 5 जुलाई को जबलपुर से उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया.

कैदी नंबर 1527

एआई की परिकल्पना (प्रतिकात्मक तस्वीर).

गिरफ्तारी के बाद माखनलाल चतुर्वेदी को बिलासपुर सेंट्रल जेल के बैरक नंबर 9 में रखा गया था. जेल के रजिस्टर में इस आजादी के दीवाने के नाम के सामने लिखा गया था - कैदी नंबर 1527, पिता - नंदलाल, उम्र - 32 वर्ष, निवास - जबलपुर. उनका क्रिमिनल केस नंबर 39 था. जेलर की निगाह में माखनलाल का नाम कैदी नंबर 1527 था, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत जानती थी कि यह कैदी सामान्य कैदी नहीं है, बल्कि इसमें आजादी की ऐसी लपट है जो अंग्रेजी सत्ता को झुलसा सकती है. नतीजतन माखनलाल चतुर्वेदी को राजद्रोह के आरोप में 8 महीने कठोर कारावास की सजा सुनाई गई.

कवि-पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी.

पुष्प की अभिलाषा

तो अंग्रेजों के इसी कैदी नंबर 1527 और देश के प्रिय कवि-पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी ने जेल के बैरेक नंबर 9 में 28 फरवरी 1922 को 'पुष्प की अभिलाषा' कविता लिखी. तो यह मशहूर कविता एक बार फिर पढ़ें -

एआई की परिकल्पना - जेल में कविता (प्रतीकात्मक तस्वीर).


चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।

मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जावें वीर अनेक।

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Freedom fighter Makhanlal Chaturvedi pushp ki abhilasha patriotic poetry treason British rule central jail
Short Title
सेंट्रल जेल में लिखी गई वह कौन सी कविता थी जिसने उड़ा दी थी अंग्रेजों की नींद
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
माखनलाल चतुर्वेदी की कविता 'पुष्प की अभिलाषा' के आधार पर एआई की परिकल्पना.
Caption

माखनलाल चतुर्वेदी की कविता 'पुष्प की अभिलाषा' के आधार पर एआई की परिकल्पना.

Date updated
Date published
Home Title

सेंट्रल जेल में लिखी गई एक कविता ने उड़ा दी थी अंग्रेजी हुकूमत की नींद, जानें विस्तार से

Word Count
428
Author Type
Author