गैब्रियल गार्सिया मार्केज ने अपनी इस कहानी में अफवाहों के फैलने की वजहे और तरीके तो दिखाए ही हैं, नियति का वह खेल भी दिखाया है जिसकी वजह से महिला को अपनी आशंका सच होती नजर आ रही है. इस मोड़ पर कहानी में एक और अफवाह फैलने की आशंका होती है, हालांकि लेखक ने कहानी में यह बात नहीं कही है.

फिर भी हमें यह समझना होगा कि महिला ने जो बुरा सपना देखा था और कोई आधार न होते हुए भी वह जिस तरह से पसरता गया और आखिरकार इस पर आंख मूंद कर लोग जिस तरह से भरोसा करने लगे, उसने पूरे गांव को 'बुरे होने की आशंका की ओर' धकेल दिया. इस बीच महिला का अपने सपने पर भरोसा भी बढ़ा और आशंका होती है कि इसी तरह उसका हर बुरा सपना एक नए तरह की अफवाह न बुन दे. DNA Lit में पढ़ें इस कहानी की अंतिम किस्त.

गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है (तीसरी किस्त)

वह एक दूसरा मवेशी काटता है, उसे भी पूरा का पूरा बेच देता है और अफवाह फैलती चली जाती है. एक वक्त ऐसा आता है जब उस गांव की समूची दुनिया, कुछ होने का इंतजार करने लगती है. लोगों की हरकतों को जैसे लकवा मार गया होता है कि अकस्मात, दोपहर बाद के दो बजे, हमेशा की ही तरह गर्मी शुरू हो जाती है. कोई बोलता है किसी ने गौर किया कि कैसी गर्मी है आज?

लेकिन इस गांव में तो हमेशा से गर्मी पड़ती रही है. इतनी गर्मी, जिसमें गांव के ढोलकिए बाजों को टार से छाप कर रखते थे और उन्हें छांव में बजाते थे क्योंकि धूप में बजाने पर वे टपक कर बरबाद हो जाते.

जो भी हो, कोई बोलता है, इस घड़ी इतनी गर्मी पहले कभी नहीं हुई थी.

लेकिन दोपहर बाद के दो बजे ऐसा ही वक्त है जब गर्मी सबसे अधिक हो.

हां, लेकिन इतनी गर्मी भी नहीं जितनी कि अभी है.

वीरान से गांव पर, शांत खुले चौपाल में, अचानक एक छोटी चिड़िया उतरती है और आवाज उठती है - चौपाल में एक चिड़िया है.

गैब्रियल गार्सिया मार्केज की कहानी 'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' के आधार पर एआई की परिकल्पना.

और भय से कांपता समूचा गांव चिड़िया को देखने आ जाता है.

लेकिन सज्जनों, चिड़ियों का उतरना तो हमेशा से ही होता रहा है.

हां, लेकिन इस वक्त पर कभी नहीं.

गांववासियों के बीच एक ऐसे तनाव का क्षण आ जाता है कि हर कोई वहां से चले जाने को बेसब्र हो उठता है, लेकिन ऐसा करने का साहस नहीं जुटा पाता.

मुझमें है इतनी हिम्मत, कोई चिल्लाता है, मैं तो निकलता हूं.

वह अपने असबाब, बच्चों और जानवरों को गाड़ी में समेटता है और उस गली के बीच से गुजरने लगता है जहां से लोग यह सब देख रहे होते हैं. इस बीच लोग कहने लगते हैं 'अगर यह इतनी हिम्मत दिखा सकता है, तो फिर हम लोग भी चल निकलते हैं.'

और लोग सच में धीरे-धीरे गांव को खाली करने लगते हैं. अपने साथ सामान, जानवर सब कुछ ले जाते हुए.

स्पेनिश कथाकार गैब्रियल गार्सिया मार्केज.

जा रहे आखिरी लोगों में से एक बोलता है 'ऐसा न हो कि इस अभिशाप का असर हमारे घर में रह सह गई चीजों पर आ पड़े' और आग लगा देता है. फिर दूसरे भी अपने अपने घरों में आग लगा देते हैं.

एक भयंकर अफरातफरी के साथ लोग भागते हैं, जैसे कि किसी युद्ध के लिए प्रस्थान हो रहा हो. उन सब के बीच से हौले से पूर्वाभास कर लेने वाली वह महिला भी गुजरती है. मैंने बताया था न कि कुछ बहुत बुरा होने जा रहा है, और लोगों ने कहा था कि मैं पागल हूं.
(समाप्त)
अनुवाद : श्रीकांत दुबे

'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' की पहली किस्त
'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' की दूसरी किस्त

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Spanish storyteller Gabriel Garcia Marquez psychological story reason for spreading rumors
Short Title
अफवाह ऐसी फैली और लोग इतने डर गए कि गांव छोड़कर लगे भागने
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
गैब्रियल गार्सिया मार्केज की कहानी 'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' के आधार पर एआई की परिकल्पना.
Caption

गैब्रियल गार्सिया मार्केज की कहानी 'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' के आधार पर एआई की परिकल्पना.

Date updated
Date published
Home Title

अफवाह ऐसी फैली और लोग इतने डर गए कि गांव छोड़कर लगे भागने

Word Count
641
Author Type
Author