डीएनए हिंदीः अगर आप दही या लस्सी पीने-खाने के शौकीन हैं तो आपको ये भी पता होना चाहिए कि ये आपके लिए फायदेमंद है या नहीं. ये बात सही है कि दही सेहतमंद होती है और कई तरह के इंफेक्शन से बचाने के साथ ही ये इम्यूनिटी मज़बूत करने और हड्डियों के साथ ही कई तरह की बीमारियों में सुपरफूड होती है, लेकिन हर किसी के लिए दही फायदेमंद ही हो ये जरूरी नहीं. कई बीमारियों को दही खतरनाक लेवल पर बढ़ा सकती है.
दही प्रोबायोटिक से भरा होता है, जो एक जीवित बैक्टीरिया और यीस्ट है, जो पाचन को मज़बूती देता है और आंत की सेहत को दुरुस्त रखता है. इसमें विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन जैसे कई पोषक तत्व पेट से जुड़ी समस्याएं, हाई बीपी को कम करने के साथ-साथ कई बीमारियों से बचाव करते है लेकिन किन बीमारियों में इसे खाने से बचना चाहिए ये भी जरूर जान लें.
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सिर दर्द
कई बार हम समझ नहीं पाते हैं कि रोज़ खाने वाला आम खाना भी लगातार हो रहे सिरदर्द का कारण हो सकता है. दही सिर के आधे हिस्से में दर्द और माइग्रेन की वजह हो सकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि यह बायोजेनिक एमाइन्स की वजह से होता है, जो जब उत्पन्न होते हैं जब किसी तरह का प्रोटीन पुराना हो जाता है या फिर नुकसान करने वाले बैक्टीरिया उसे फर्मेंट कर देते हैं.
एलर्जी बढ़ जाती हैं
जिन लोगों को कुछ तरह के खाने से एलर्जी होती है, उनके लिए उस खास फूड का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आंत और पाचन तंत्र में एलर्जी को ट्रेगर करने के पीछे प्रोबायोटिक्स होते हैं. इसलिए बाज़ार से दही खरीदे वक्त उसके इंग्रीडियेंट्स पढ़ लें. फ्लेवर्ड जही में आमतौर पर डेयरी, अंडे या फिर सोया का उपयोग किया जाता है, जिससे एलर्जी हो सकती है.
संक्रमण बढ़ने का ख़तरा
वैसे तो दही ज़्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन कई मामलों में दही में पाए जाने वाले बैक्टीरिया या यीस्ट रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में संक्रमण का कारण बन सकते हैं. गंभीर एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस से जूझ रहे लोगों को डॉक्टर प्रोबायोटिक्स न लेने की सलाह देते चाहिए, क्योंकि इससे मौत का ख़तरा बढ़ सकता है.
अर्थराइटिस को बढ़ा सकता है
वैसे तो दही, हड्डियों और दांतों के लिए लाभकारी माना जाता है. लेकिन अर्थराइटिस से पीड़ित मरीजों के लिए यह नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसलिए इन्हें रोजाना दही खाने से बचना चाहिए. इससे परेशानी और अधिक बढ़ सकती है. दही में एक खास तरह का प्रोटीन होता है, जो जोड़ों में सूजन का कारण बन सकता है, खासतौर पर अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों में.
अस्थमा बढ़ सकता है
अगर आप अस्थमा के मरीज हैं या फिर आपको सांस से जुड़ी कोई भी परेशानी है तो ऐसे में दही का सेवन न करें. अगर फिर भी आपको दही खानी है तो आप दिन के समय में सीमित मात्रा में खाएं. इस बात का ध्यान रखें कि रात में दही का सेवन न करें.
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एसिडिटी की समस्या बढ़ जाएगी
अगर आपको एसिडिटी की समस्या ज्यादा होती है तो ऐसे में दही का सेवन बिल्कुल भी नहीं करें. इससे आपकी परेशानी बढ़ सकती है. दही का सेवन सीने में जलन, डकार और कब्ज़ का इलाज करता है, लेकिन कई बार यह प्रोबायोटिक गैस और पेट फूलने की समस्या को बढ़ा भी सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि जो लोग रोज़ाना दही खाते हैं, वे कब्ज़ और ज़रूरत से ज़्यादा प्यास लगने की शिकायत भी करते हैं. ऐसा होने पर दही का सेवन रोक दें और डॉक्टर से सलाह करें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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