Book Review : मानवीय चिंताओं से लबरेज कविता संग्रह 'मनुष्य न कहना'
Book Review: ममता जयंत के कविता संग्रह 'मनुष्य न कहना' की कई कविताएं अपील करती हैं. 'तुम भगवान तो नहीं' शीर्षक कविता आज की राजनीति की ओर इशारा करती है और यह भी बताती है कि कवि इस स्थिति से नाखुश है.
Book Review: 'ज़ीरो माइल अयोध्या' विस्मृत हो गए तहज़ीब के बिखरे कांच को समेटती ये कहानी
Hindi Book Review Zero Mile Ayodhya: आज अयोध्या एक ऐसा नाम है, जिसे चाय की टपरी से लेकर सुदूर सिलिकॉन वैली में बैठे भारती कॉर्पोरेट प्रोफेशनल भी गाहे-बगाहे दोहरा रहे हैं. किताब जीरो माइल अयोध्या के अतीत से लेकर हाल तक के वृहद पन्नों को पलटती है.
Book Review: विसंगतियों की नब्ज टटोलती लघुकथाओं का संग्रह 'वक़्त कहाँ लौट पाता है'
Short Stories: रेडियो के शॉर्ट वेब और मीडियम वेब तरंगों की तरह ही कविता, कहानी, उपन्यास... और साहित्येतर विधाओं की अपनी-अपनी रेंज होती है. इस भागती-दौड़ती जिंदगी में साहित्य में नए पाठकों को जोड़ने का काम लघुकथाएं कर सकती हैं. इसलिए भी लघुकथा संग्रह 'वक़्त कहाँ लौट पाता है' का स्वागत होना चाहिए.
Reader's Review: 'शहर से दस किलोमीटर' दूर बसी बस्ती को इस बार नहीं कर सकेंगे अनदेखा
Reader's Review: वरिष्ठ रचनाकार नीलेश रघुवंशी के ताजा उपन्यास 'शहर से दस किलोमीटर' पर पाठकीय टिप्पणी की हैं कथाकार विनीता बाडमेरा ने. राजस्थान के अजमेर की रहनेवाली विनीता बाडमेरा खुद कहानीकार हैं. उनकी कहानियों के संग्रह का नाम है 'एक बार, आख़िरी बार'. वे एक संवेदनशील कवि भी हैं.
Book Review: भौगोलिक और सामाजिक परिवेश का रोचक वृतांत है 'झारखंड से लद्दाख'
Travelogue: रश्मि शर्मा स्वभावतः कवि हैं. यह कहते हुए ध्यान है कि उनकी कहानियां भी चर्चा में रही हैं, लेकिन जब उनकी कहानियों से आप गुजरेंगे तो उनकी शैली, उनकी वर्णनात्मकता, उनकी भाषा में आपको कवित्त के गुण दिखेंगे. यही बात उनके इस पांचवीं किताब 'झारखंड से लद्दाख' के बारे में भी कही जा सकती है.
Book Review: स्त्री के सपने, संघर्ष और सवालों की परतें खोलता है कविता संग्रह 'पैबंद की हँसी'
Paiband Ki Hansi: 'बाग़ की होली' और 'कचनारी इश्क़' जैसी कविताएं स्त्री-मन की परतों से निकली हैं. 'कचनारी इश्क़' में प्रेम की अभिव्यक्ति बिल्कुल आम फहम शब्दों में है, बोलचाल वाली शैली में है. इस भाषा शैली की वजह से कविता में जो अल्हड़पन और बेलौसपन आया है, वह पाठकों को लुभाता है.
स्त्री के अंतर्मन को समझने की नई दृष्टि देता है साझा कविता संग्रह 'प्रतिरोध का स्त्री-स्वर'
Book Review: कविताओं के साझा संग्रह प्रतिरोध का स्त्री-स्वर में यूपी से 7, एमपी, बिहार और झारखंड से 3-3, दिल्ली से 2 और राजस्थान व महाराष्ट्र से 1-1 कवियां शामिल की गई हैं. इन कविताओं में स्त्री का दर्द, उसका संघर्ष किसी प्रदेश विशेष से नहीं बंधा है, वह वाकई भारतीय स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करता है.
Book Review: श्रम के सौन्दर्य के सर्जक और श्रम संस्कृति के कवि हैं महेश चंद्र पुनेठा
कवि महेश चन्द्र पुनेठा की कविताएं जीवन से जरूरी संवाद करती हैं. युवा आलोचक गोलेन्द्र पटेल ने उनकी कविता पर टिप्पणी की है.
Book Review: अपने समय की सच्ची कविताओं से बना एक जरूरी कविता संग्रह-इस कविता में प्रेमिका भी आनी थी
"इस कविता में प्रेमिका भी आनी थी' संग्रह में 68 कविताएं हैं. इस संग्रह को उन्होंने बिना किसी आत्म कथ्य या भूमिका के लिखा है.
Book Review : मुगलों और राजपूतों से जुड़े इतिहास के नये पक्ष खोलती है 'औरंगजेब बनाम राजपूत- नायक या खलनायक' किताब
वर्तमान काल खंड में जब औरंगजेब से जुड़े इतिहास के बारे में बार-बार बातें हो रही हैं, यह किताब सभी विगत घटनाओं को नई दृष्टि से देखने की समझ देती है.