सर्दियों के मौसम में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना बेहद आम बात हो गई है. हर दूसरा या तीसरा व्यक्ति इससे परेशान रहता है. सर्दियों के मौसम में हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप अपनी डाइट में कुछ बदलाव करके कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल कर सकते हैं? आज हम बात करेंगे तिल के तेल की जो न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है. आइए यहां जानते हैं कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण और कोलेस्ट्रॉल में तिल का तेल कैसे फायदेमंद है.
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण
फिजिकल एक्टिविटीज में कमी
सर्दियों में ठंड के कारण लोग घर के अंदर रहना पसंद करते हैं और फिजिकल एक्टिविटीज कम करते हैं. व्यायाम की कमी के कारण शरीर में मेटाबॉलिज्म दर कम हो जाती है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने लगता है.
असंतुलित आहार
सर्दियों में लोग मसालेदार और तला हुआ खाना अधिक खाते हैं. इन खाद्य पदार्थों में सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट अधिक मात्रा में होता है, जो कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकता है.
विटामिन डी की कमी
सर्दियों में धूप कम होती है, जिससे विटामिन डी का प्रोडक्शन कम हो जाता है. विटामिन डी कोलेस्ट्रॉल के मेटाबॉलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसकी कमी से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है.
हार्मोनल परिवर्तन
सर्दियों के दौरान शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं.
तनाव
सर्दियों में ठंड और छोटे दिन होने के कारण तनाव बढ़ सकता है. तनाव कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में एक बड़ा कारक है.
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तिल के तेल के फायदे
अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है
तिल के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है.यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मदद करता है. अच्छा कोलेस्ट्रॉल शरीर से खराब कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है.
खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है
तिल के तेल में पाए जाने वाले सेसामिन और सेसामोल नामक तत्व खराब कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करते हैं, जिससे खून में इसका स्तर कम होता है.
ट्राइग्लिसराइड्स को कम करता है
तिल के तेल में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड होता है, जो ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में मदद करता है. ट्राइग्लिसराइड्स खून में पाया जाने वाला एक तरह का फैट है और हाई लेवल पर हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है.
सूजन को कम करता है
तिल के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. यह शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है. पुरानी सूजन हृदय रोगों के लिए एक जोखिम कारक है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी बढ़ा सकती है.
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
तिल के तेल में सेसमीन और सेसमोल नामक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. ये एंटीऑक्सीडेंट शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और हृदय रोगों के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
पाचन में सुधार करता है
तिल का तेल पाचन में बेहतर करके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद कर सकता है. एक स्वस्थ पाचन तंत्र शरीर को पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स से संपर्क करें.)
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