डीएनए हिंदीः डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के अनुमानित 77 मिलियन लोग डायबिटीज (टाइप 2) से पीड़ित हैं और लगभग 25 मिलियन प्रीडायबिटीज हैं. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर 12-18 वर्ष की आयु के किशोरों में.
बच्चों और युवा वयस्कों में डायबिटीज होने के पीछे कई कारण में एक बड़ा कराण मोटापा बन रहा है. टाइप 2 डायबिटीज एक लांग टर्म मेटाबॉलिक डिजीज है जो इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है. ऐसी स्थिति में शरीर की कोशिकाएं अग्न्याशय द्वारा उत्पादित इंसुलिन पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं. इंसुलिन एक हार्मोन है जो ऊर्जा उत्पादन के लिए रक्तप्रवाह से कोशिकाओं में ग्लूकोज के अवशोषण को सुविधाजनक बनाकर रक्त शर्करा के स्तर को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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इन 8 कारणों से बच्चों में बढ़ रहा है डायबिटीज
जेनेटिक कारण- फैमिली हिस्ट्री भी बच्चों में डायबिटीज का कारण बन रही है. अगर किसी बच्चे के परिजन को डायबिटीज है तो बच्चे में इसके बढ़ने की संभावना भी ज्यादा होगी.
फिजिकल एक्टिविटीज की कमी- इनएक्टिव लाइफस्टाइल और नियमित शारीरिक गतिविधि की कमी से वजन बढ़ता है और इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है. जिससे बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.
गर्भकालीन डायबिटीज एक्सपोजर- जिन माताओं को गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन डायबिटीज था. उनसे पैदा होने वाले बच्चों में बाद में लाइफ में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ता है. ऐसा अक्सर गर्भ में ग्लूकोज़ के हाई लेवल के संपर्क में आने के कारण होता है.
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मोटापा और गतिहीन जीवनशैली- टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर एडल्ट्स से जुड़ा होता है. लेकिन बच्चों में इसका तेजी से इलाज किया जा रहा है. अक्सर बचपन में मोटापे और एक्टिविटी में कमी की बढ़ती दर के कारण. शरीर का ज्यादा वजन और शारीरिक निष्क्रियता इंसुलिन प्रतिरोध को जन्म देती है, जो टी2डी का एक प्रमुख कारक है.
अनहेल्दी फ़ूड खाना-मीठे और हाई कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों की ज्यादा खपत सहित खराब आहार संबंधी आदतें मोटापे और इंसुलिन प्रतिरोध में योगदान करती हैं. जिससे बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.
जन्म के समय कम वजन- जन्म के समय कम वजन के साथ पैदा होने वाले बच्चों में, खासकर अगर ', डायबिटीज विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है.
ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया- टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है जहां बॉडी का इम्यून सिस्टम गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन उत्पादक बीटा कोशिकाओं पर अटैक करती है और उन्हें खत्म कर देती है. यह ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया बच्चों में टी1डी का एक प्रमुख कारण है.
वायरल संक्रमण (टाइप 1 डायबिटीज)- कुछ वायरल संक्रमण जैसे एंटरोवायरस, आनुवंशिक रूप से अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं. जिससे टाइप 1 डायबिटीज हो सकता है.
डायबिटीज के खतरे से कैसे बचाएं
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज को रोकने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करना अनिवार्य है - संतुलित भोजन करना, चीनी वाले ड्रिंकऔर प्रॉसेस्ड फूड को सीमित करना होगा. साथ ही नियमित व्यायाम या आउटडोर गेम में शामिल करना होगा. स्क्रीन समय को सीमित करने के साथ हेल्दी डाइट दें.
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कब जरूर करा लें ब्लड शुगर टेस्ट
अगर आपका बच्चा ओबेस है तो शुगर का टेस्ट कराना चाहिए. साथ ही अगर बच्चे को बहुत पसीना आता हो, प्याज ज्यादा लगती हो, यूरिन पास ज्यादा करता हो या भूख अचानक से तेज लगती हो, मुंह सूखता हो और थकान-कमजोरी फील करता है, ऐसी स्थिति में बच्चे को डॉक्टर से दिखाएं जरूर.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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इन 8 कारणों से बच्चों में बढ़ रहा टाइप-2 डायबिटीज, जान लें कब जरूर कराएं ब्लड शुगर टेस्ट