जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी (Osaka University of Japan) के शोधकर्ताओं की रिसर्च साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल (Scientific Reports Journal) में प्रकाशित हुई है. इस रिसर्च में माउथवॉश (Mouthwash) के उन फायदों के बारे में बताया गया है जिसे शायद ही आप जानते होंगे, माउथवॉश सांसों की बदबू (bad breath) से लेकर मुंह की अन्य दिक्कतों (Mouth Disease) को दूर करने में फायदेमंद होता है लेकिन ये डायबिटीज (Diabetes) और अल्जाइमर (Alzheimer) जैसी समस्याओं को भी कंट्रोल कर सकता है. इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों का दावा है कि माउथवॉश कोरोना वायरस (Coronavirus) की बाहरी परत को नष्ट करके कोविड-19 (Covid-19) की रक्षा करता है.
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मुंह की देखभाल करना बहुत जरूरी है, क्योंकि सिर्फ ताजी सांस के लिए नहीं बल्कि टाइप 2 डायबिटीज और अल्जाइमर से बचने के लिए भी, क्योंकि मुंह में पैदा होने वाले 3 बैक्टिरिया ऐसे हैं जो इन दो बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देते हैं. हालिया अध्ययन के अनुसार, एंटीसेप्टिक माउथवॉश से गरारे करना डायबिटीज रोगियों के hba1c को कम करता है और अल्जाइमर अटैक से भी बचाता है, क्योंकि इन दोनों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार कुछ बैक्टीरिया हमारे मुंह में भी होते हैं.
रिसर्च में पाया गया कि जब माउथवॉश से रोज गरारा किया जाता है तो टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को इससे सबसे अधिक फायदा हुआ. शोध दल की प्रमुख साया मातायोशी का कहाना कि क्लोरहेक्सिडिन ग्लूकोनेट युक्त एंटीसेप्टिक माउथवॉश (Antiseptic Mouthwash with Chlorhexidine Gluconate) से गरारे करना स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. वे यह भी कहते हैं कि तीन विषैले जीवाणु प्रजातियां जो दांतों के आसपास के ऊतकों में कई बीमारियों का कारण बनती हैं. वे एंटीसेप्टिक माउथवॉश को नष्ट हो जाती हैं.
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रिसर्च में पाया गया कि एंटीसेप्टिक क्लोरहेक्सिडिन ग्लूकोनेट युक्त माउथवॉश का उपयोग करके टाइप 2 डायबिटीज में होने वाले मुंह, मसूड़े और दांतों की समस्याओं में भी कमी आई. क्योंकि ब्लड शुगर और अल्जाइमर के रोगियों में इन तीन तरह के के बैक्टिरियल अटैक होते हैं ये प्रजातियां - पोर्फिरोमोनस जिंजिवलिस, ट्रेपोनेमा डेंटिकोला और टैनेरेला फोर्सिथिया हैं, जिसे माउथवॉश से कम किया जा सकता है.
रिसर्च में 6 महीने तक सर्वे किया गया. उस अवलोकन में प्रतिभागियों ने पहले प्रारंभिक अवधि के लिए पानी से गरारे किए और फिर अगले छह महीनों के लिए एक एंटीसेप्टिक माउथवॉश से गरारे किए. अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग नियमित रूप से दिन में दो बार एंटीसेप्टिक माउथवॉश से गरारे करते हैं, उनमें लक्षित जीवाणु प्रजातियों में उल्लेखनीय कमी आई है.
पानी से गरारे करने से बैक्टीरिया के स्तर या HbA1c के स्तर पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं दिखा, जो मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा नियंत्रण का एक संकेतक है. विश्वविद्यालय के काज़ुहिको नाकानो ने बताया, "हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि पानी से गरारे करने से बैक्टीरिया की प्रजातियों या एचबीए1सी के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा." रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एंटीसेप्टिक माउथवॉश बैक्टीरिया को कमजोर करता है.
अध्ययनों से पता चलता है कि युवा रोगियों को इस गरारे से सबसे अधिक लाभ होता है. वृद्ध वयस्कों का रक्त शर्करा नियंत्रण बेहतर हो सकता है. मनोभ्रंश, हृदय रोग और श्वसन संक्रमण सहित कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम कर सकता है.
Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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माउथवॉश से डायबिटीज और अल्जाइमर जैसी बीमारियां भी होती हैं कंट्रोल