भारत-पाकिस्तान (India Pakistan Conflict) के बीच संघर्ष तेज हो गया है, भारत की सेना पाकिस्तान की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे रही है. एयर स्ट्राइक्स (Air Strikes) और मुठभेड़ से जुड़ी खबरें लगातार आ रही हैं. हालांकि लोगों के घरों में ड्राइंग रुम में लगातार चल रहे टीवी और उसपर आ रहीं खबरें से कई लोगों के बीच चिंता और बेचैनी का भी माहौल देखा जा रहा है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक बार-बार इस तरह की खबरें सुनने या पढ़ने से वाॅर एंग्जायटी (War Anxiety) बढ़ सकती है.
न्यूक्लियर एंग्जायटी या न्यूज एंग्जायटी
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस प्रकार की एंग्जायटी को न्यूक्लियर एंग्जायटी या न्यूज एंग्जायटी (News Anxiety) भी कहा जाता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक लगातार युद्ध की खबरें पढ़ने-सुनने से लोगों में पैनिक अटैक, नींद से जुड़ी समस्याएं और असुरक्षा की भावना पैदा होने लगती है और बच्चों की मेंटल हेल्थ पर इसका बहुत गम्भीर असर पड़ता है. बता दें कि बच्चे लड़ाई की खबरों और बम धमाकों की आवाजों से डर जाते हैं और यह डर पूरी जिंदगी उनके मन में रह सकता है.
कैसे करें बचाव?
स्टडी के मुताबिक वॉर एंग्जायटी का शिकार व्यक्ति टीवी और अन्य माध्यमों में युद्ध की खबरें बार-बार तलाशता है. इससे एंग्जायटी के लक्षण और गम्भीर हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में जरूरी है कि आप टीवी पर न्यूज कम से कम देखें और केवल विश्सनीय सूत्रों से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करें, इसके अलावा खुद को अन्य कामों में व्यस्त रखें ताकि आपका ध्यान युद्ध की तरफ कम से कम रहें.
इसके अलावा मेंटली हेल्दी रहने के लिए योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज जरूर करें. इसके अलावा अपने परिवार और बच्चों के साथ समय बिताएं और सकारात्मक बातें सोचें. साथ ही खुद के मन को स्थिर रखें.
ब्रेन का स्ट्रेस रिस्पॉन्स
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक असल में इस तरह के खबरें देखना या ऐसी तस्वीरों की वजह से ब्रेन का स्ट्रेस रिस्पॉन्स ट्रिगर होता है. ऐसी स्थिति में बेचैनी, नींद आने में मुश्किल, डर और घबराहट जैसे लक्षण दिख सकते हैं. इसके अलावा कई बार विक्टिम्स की हालत देखकर लोगों के मन में डर और चिंता बढ़ने लगती है.
सोशल मीडिया पर अक्सर रियल-टाइम अपडेट्स मिलने लगते हैं, ये वीडियोज कई बार पूरी तरह से सही भी नहीं होते हैं. लेकिन, डूम स्क्रॉलिंग की वजह से मरीज डर, घबराहट और चिंता के शिकार होने लगते हैं.
(Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है. इस पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें.)
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