डीएनए हिंदी: (Diabetic Foot Ulcer Symptoms And Prevent Tips) डायबिटीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही है. दुनिया भर में इसके 40 करोड़ से भी ज्यादा मरीज हैं. वहीं भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या सबसे ज्याद है. इसकी वजह लोगों का डायबिटीज के प्रति ज्यादा जागरूक न होना है, लेकिन क्या आपको पता है कि डायबिटीज में ब्लड शुगर का हाई रहना बेहद खतरनाक है. यह लिवर से लेकर किडनी पर बहुत बुरा असर डालता है. इतना ही नहीं ब्लड शुगर का हाई लेवल विकलांग तक कर सकता है. ब्लड शुगर हाई होते ही पैरों की नसें डैमेज होने लगती है और पैरों के कटने की नौबत आ जाती है.
ब्लड शुगर हाई होने से तंत्रिका क्षति यानी मधुमेह से संबंधित न्यूरोपैथी, परिसंचरण समस्याएं और पैर की चोट का जोखिम बढ़ जाता है. इसकी वजह से पैर सुन्न होने लेकर पैरों तक ब्लड फ्लो लो हो जाता है. इसे नसें डैमेज होने लगती है. इसी स्थिति को डायबिटीक न्यूरोपैथी कहते हैं. इस स्थिति में पैरों में बड़ी से बड़ी चोट लगने पर दर्द नहीं होता. पैर पत्थर के समान हो जाते हैं.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, डायबिटीक मरीजों में हाई ब्लड शुगर की वजह से भारत में हर साल लगभग 100,000 लोगों के पैर काटे जाते हैं. यह संख्या तेजी से बढ़ रही है.एंडोक्रिनोलॉजी सेंटर के विशेषज्ञ बताते हैं कि डायबिटीज के लगभग 15 से 25 प्रतिशत मरीज अपने लाइफस्टाइल में ब्लड शुगर का ध्यान नहीं रख पाते. न ही वह हाई ब्लड प्रेशर से पैरों में होने वाले अल्सर के विषय में जान पाते हैं. इसकी वजह से भी पैरों का अल्सर बढ़ता जा रहा है.
इस वजह से बढ़ जाता है पैरों में विच्छेदन
एक्सपर्ट्स के अनुसार, डायबिटीज मरीजों के पैरों में विच्छेदन यानी उंगलियों में गैप बढ़ जाता है. कई और लक्षण दिखाई देते हैं. इसकी वजह डायबिटीज से संबंधित न्यूरोपैथी
का होना है. पीएडी उन धमनियों को कमजोर और पतली कर सकता है जो आपके पैरों तक ब्लड ले जाती हैं. इसी की वजह से अल्सर और संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है.
डायबिटीक न्यूरोपैथी से जुड़े हैं फुट अल्सर के लक्षण
1.फुट अल्सर के लक्षणों में पैरों के पंजों और तलवों में सूजन, जलन और चुभन होना हैं.
2.ब्लड सर्कुलेशन डाउर होने की वजह पैर में लगने वाली चोट का ठीक न होना. संक्रमण का तेजी से फैलना.
3.अंगूठे उंगलियों के नीचले हिस्से पर छोटे छोटे छाले होना.
4.पैरों के अगले हिस्से यानी उंगलियों के आकार में बदलाव और गैप बन जाना.
5.गैंग्रीन जो टिशू के सड़ने और ख़त्म होने का कारण बनता है. इस स्थिति में पैर कटवाने पड़ जाते हैं.
6. पैरों की स्किन में बदलाव होना. पैरों में सूखापन, दरारें, स्केलिंग, पैर की उंगलियों का फटना, एड़ी को नुकसान, छिलने जैसी समस्याएं. कॉलस और कॉर्न अल्सर में बदल सकते हैं.
7. पैरों के बाल अचानक से झड़ने लगते हैं.
डायबिटीज के मरीजों को इन बातों का रखना चाहिए खास ध्यान
-अपने पैरों की जांच करें: फफोले, कटने, दरारें, घावों, लालिमा, कोमलता या सूजन के लिए दिन में एक बार पैरों को जरूर देख लें.
-गुनगुने पानी से धोएं पैर: पैरों को दिन में एक बार गुनगुने पानी से जरूर धोएं. उन्हें धीरे से सुखाएं, खासकर पैर की उंगलियों के बीच. त्वचा को धीरे-धीरे रगड़ने के लिए एक पुमिस पत्थर का प्रयोग करें. जहां कॉलस आसानी से बनते हैं.
-त्वचा को सूखा रखने के लिए अपने पैर की उंगलियों के बीच टैल्कम पाउडर या कॉर्नस्टार्च लगाएं. त्वचा को मुलायम रखने के लिए अपने पैरों के ऊपर और नीचे मॉइस्चराइजिंग क्रीम या लोशन का प्रयोग करें.
-कॉलस या पैर के अन्य घावों को स्वयं न हटाएं: अपनी त्वचा को चोट पहुंचाने से बचने के लिए, कॉलस, कॉर्न्स या नेल फाइल, नेल क्लिपर या कैंची का उपयोग न करें. किसी दवाई का इस्तेमाल करें. कोई भी समस्या को देखते ही पैर विशेषज्ञ पोडियाट्रिस्ट से परामर्श लें.
-पैरों को गर्म न रखें: पैरों को गर्म करने के लिए कुछ भी न करें. बहुत टाइट मोजे तक न पहनें. आरामदायक जूते पहन सकते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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