'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' कहानी की पहली किस्त में आपने पढ़ा कि एक बूढ़ी महिला ने अपने बच्चे के सामने अपने मन की आशंका रखी. मां की आशंका बच्चे पर इस कदर हावी रही कि वह जीता हुआ खेल हार गया और जब साथियों ने उससे इस हार की वजह पूछी तो उसने अपनी मां की आशंका के बारे में बताया. DNA Lit में प्रकाशित इस दूसरी किस्त में देखें कि वह आशंका कैसे पूरे गांव में फैली.
गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है (दूसरी किस्त)
'और वह मूर्ख क्यों है?'
भई! क्योंकि वह एक सबसे आसान सा गोला अपनी मां के एक एक पूर्वाभास की फिक्र में नहीं जीत पाया, जिसके मुताबिक इस गांव के साथ कुछ बहुत बुरा होने वाला है.
आगे उसकी मां बोलती है 'तुम बुजुर्गों के पूर्वाभास की खिल्ली मत उड़ाओ, क्योंकि कभी-कभार वे सच भी हो जाते हैं.'
रिश्तेदार इसे सुनती है और गोश्त खरीदने चली जाती है. वह कसाई से बोलती है 'एक पाउंड गोश्त दे दो या ऐसा करो कि जब गोश्त काटा ही जा रहा है तब बेहतर है कि दो पाउंड... मुझे कुछ ज्यादा दे दो, क्योंकि लोग यह कहते फिर रहे हैं कि गांव के साथ कुछ बहुत बुरा होने वाला है.'
कसाई उसे गोश्त थमाता है और जब एक दूसरी महिला एक पाउंड गोश्त खरीदने पहुंचती है, तो उससे बोलता है - आप दो ले जाइए क्योंकि लोग यहां तक कहते फिर रहे हैं कि कुछ बहुत बुरा होने वाला है, और उसके लिए तैयार हो रहे हैं, और सामान खरीद रहे हैं.
वह बूढ़ी महिला जवाब देती है 'मेरे कई सारे बच्चे हैं. सुनो, बेहतर है कि तुम मुझे चार पाउंड दे दो.'
वह चार पाउंड गोश्त लेकर चली जाती है, और कहानी को लंबा न खींचने के लिहाज से बता देना चाहूंगा कि कसाई का सारा गोश्त अगले आधे घंटे में खत्म हो जाता है.
(जारी)
'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' की पहली किस्त
'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' की तीसरी किस्त
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