डीएनए हिंदी: क्या आपको लगता है कि दफ्तरों में काम के तनाव से केवल कर्मचारी (Employee) ही परेशान हैं? अगर ऐसा है तो आज आपको काम के तनाव के गणित को समझना बेहद जरुरी है. वर्कप्लेस से मिले स्ट्रेस यानी काम के तनाव का नतीजा ये है कि दुनिया को हर साल 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में ये डाटा इकट्ठा करके चेतावनी दी है कि अगर कॉरपोरेट जगत में कर्मचारियों के लिए अनुकूल माहौल नहीं तैयार किया गया तो कंपनियों की बैलेंस शीट और साख दोनों का गिरना तय है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने काम के तनाव से होने वाले नुकसान का एक आंकलन किया है, जिसके हिसाब से डिप्रेशन और तनाव के शिकार कर्मचारियों की वजह से दुनिया को हर साल 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. डब्ल्यूएचओ के आंकलन के मुताबिक, अगर काम से जुड़े तनाव को कम किया जा सके तो हर साल लोग अभी जितना काम कर रहे हैं उसमें 12 बिलियन कामकाजी दिन और जोड़े जा सकते हैं. यानी 365 दिनों में जो काम अभी किया जा रहा है उसमें 12 करोड़ दिनों में होने जितना काम और बढ़ जाएगा. 

दुनिया की कुल आबादी के 60% लोग कामकाजी
दुनिया भर में कुल 100 करोड़ लोग मानसिक परेशानियों के शिकार हैं और इनमें से 15% युवा हैं जो काम की वजह से तनाव में हैं. WHO के मुताबिक, काम के दबाव और तनाव के बीच फर्क होता है. काम का दबाव नौकरी का ज़रुरी हिस्सा होता है जिससे कर्मचारी अलर्ट और प्रेरित रहते हैं लेकिन अगर काम का बंटवारा सही नहीं और कंपनी की पॉलिसी कर्मचारियों के हिसाब से नहीं है या बॉस और सहकर्मियों से कोई मदद ना मिल रही हो तो दबाव को तनाव में बदलते देर नहीं लगती है. काम पर बॉस से सामना होने से बचना, काम से लौटकर भी चिड़चिड़ा रहना, घरवालों पर बिना वजह गुस्सा निकालना या फिर छुट्टी लेने से डरना. ये कुछ लक्षण हैं जो बताते हैं कि आप काम के दबाव में नहीं हैं बल्कि काम के तनाव की चपेट में हैं.

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वहीं, ITC की कंपनी Fiama ने Nilsen के साथ मिलकर एक सर्वे किया. जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई. युवाओं को तनाव को झेलने का स्तर वयस्कों के मुकाबले काफी कम पाया गया है. आईटीसी के डिवीजनल सीईओ समीर सत्पति के मुताबिक, महिलाओं वर्क लाइफ बैलेंस से ज्यादा परेशान हैं. 81%  युवा मानते हैं कि उनके जीवन में तनाव की सबसे बड़ी वजह उनकी नौकरी है. इस तनाव के तीन बड़े कारण सामने आए हैं- काम का प्रेशर , वर्कप्लेस का माहौल और खराब बॉस. 67% युवा मानते हैं कि काम के तनाव की वजह से उन्हें नींद आनी काफी कम हो गई है.

महिलाओं में सबसे ज्यादा स्ट्रेस

महिलाओं को होता है Monday Blues 
स्टडी में पता चला है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा तनाव होता है. 72% महिलाओं को सोमवार को ऑफिस जाने से पहले तनाव होने लगता है. इसे Monday blues भी कहते हैं. 10 में से 9 महिलाएं मानती हैं कि कंपनियों को Work Life Balance पॉलिसी पर काम करना चाहिए. यानी जिससे काम और घर के बीच संतुलन बनाया जा सके. इतना ही नहीं 71 प्रतिशत यानी तीन चौथाई महिलाओं बर्नआउट की शिकार हैं. 

तनाव की वजह रिश्तों के टूटने का डर
स्टडी में सामने आया कि 87 प्रतिशत युवाओं को लगता है कि अगर उनका रिश्ता उनके पार्टनर से टूट जाता है तो वो तनाव में आ जाते हैं. 86% महिलाएं भी मानती हैं कि रिश्तों के टूटने के डर से वो तनाव में रहती हैं.

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तनाव की तीसरी बड़ी वजह सोशल मीडिया
WHO स्टडी में तनाव की तीसरी वजह को जानकर आप हैरान हो जाएंगे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी को कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है, यानी कमेंट और लाइक्स की संख्या कितनी है या उन्हें लेकर क्या कमेंट किए जा रहे हैं.  ये भी तनाव देते हैं. आईटीसी के डिवीजनल चीफ एक्ज़ीक्यूटिव समीर सत्पति का कहना है कि भारत में 66% युवाओं ने इस तनाव से छुटकारा पाने के लिए कुछ वक्त के लिए सोशल मीडिया से ब्रेक लिया. हालांकि, वो ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं कर पाए. केवल 33% युवाओं ने किसी मनोचिकित्सक तक जाने का फैसला किया. 

तनाव से बचाव के क्या हैं उपाय

  • तनाव से बचाने के लिए कंपनियों को समय-समय पर अपने कर्मचारियों से बात करनी चाहिए. संवाद से समस्याएं हल हो सकती हैं. 
  • कर्मचारी पॉजिटिव सोच के साथ दिन शुरू करें. 
  • छोटे-छोटे लक्ष्य सेट करें और उन्हें पूरा करें. 
  • खुद को व्यवस्थित करें और वाद-विवाद में ना उलझें. 
  • अपनी सामर्थ्य पहचानें और वैसे ही काम करें
  • मल्टी टास्किंग से बचें 
  • लंच के बाद एक छोटा ब्रेक ले सकते हैं. 
  • गाने सुने, स्ट्रेचिंग करें.
  • ना कहना सीखें. अगर काम सच में जरुरत से ज्यादा है तो विनम्रता से इस मुश्किल को अपने बॉस से शेयर करें.

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one lakh crore loss every year due to work stress in office WHO study revealed
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ऑफिस में काम के तनाव से हर साल हो रहा एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान: WHO
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वर्क प्लेस के टेंशन से बिगड़ रही लोगों की पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी, हैरान कर देगी WHO की ये रिपोर्ट