डीएनए हिंदी: देश में सार्वजनिक क्षेत्र में पिछड़ों और वंचितों को प्रोस्ताहन देने के लिए नौकरी समेत कई मुद्दों पर आरक्षण प्राप्त है वहीं निजी क्षेत्र में नौकरी के लिए एक मांग स्थानीय युवाओं को क्षेत्र के अधार पर रोजगार देने की मांग भी उठती रही है. वहीं इसको लेकर मोदी सरकार ने बड़ा ऐलान किया है कि स्थानीय युवाओं के लिए निजी क्षेत्र में नौकरी के लिए कोई आरक्षण का कानून नहीं आएगा.
नहीं आएगा निजी क्षेत्र के लिए कानून
दरअसल राज्यसभा में स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के मुद्दे पर निजी कंपनियों में आरक्ष की मांग संबंधी प्रशन पूछा गया था. इस पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ए नारायणस्वामी ने जवाब दिया है. उन्होंने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में गैर-कार्यकारी स्तर पर स्थानीय युवाओं को आरक्षण मुहैया कराने के लिए कानून लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
संसद में उठा था सवाल
दरअसल, मोदी सरकार से सवाल किया गया था कि, “सरकार निजी क्षेत्र की नौकरियों में कार्यकारी स्तर पर स्थानीय युवाओं को आरक्षण प्रदान करने के लिए कोई मॉडल कानून लाएगी? इसके जवाब में स्पष्ट कर दिया गया है कि ऐसा कोई भी प्रस्ताव या कानून सरकार नहीं लाने वाली है.
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गहन विमर्श की आवश्यकता
वहीं इस मुद्दे को लेकर मंत्री ए नारायणस्वामी ने राज्यसभा में कहा कि निजी क्षेत्र में समाज के विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण के संबंध में संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून बना कर ही निजी क्षेत्र में आरक्षण के प्रावधान किए जा सकते हैं जिसके लिए गहन विमर्श की आवश्यकता है.
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने स्थानीय युवाओं के लिए निजी क्षेत्र में नौकरी के लिए 75 फीसदी आरक्षण का प्रावधान लागू किया है. ऐसे में ये चर्चाएं होने लगी थीं कि क्या मोदी सरकार भी इस पर कोई देशव्यापी फैसला लेगी लेकिन संसद में मोदी सरकार ने इस मुद्दे को सिरे से नकार दिया है.
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