डीएनए हिंदी: एशिया कप (Asia Cup 2022) में थोड़ी देर बाद भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच मुकाबला शुरू होने जा रहा है. इस बार एशिया कप में यह दोनों ही टीम का पहला मैच होगा. दोनों टीमों के बीच एशिया कप में पहली बार 38 साल पहले मुकाबला हुआ था, जब साल 1984 में एशिया कप के सबसे पहले संस्करण में दोनों टीम आपस में भिड़ी थीं. वो एशिया कप भी खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात की धरती पर हुआ था और इस बार भी मुकाबला वहीं पर हो रहा है. 

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पंजाबी में बोल रहे थे कादिर-सरफराज, मैं हंस रहा था

सुरिंदर के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान के मैच के दौरान मैदान में जितनी दुश्मनी आपस में दिखती है, असल में बाहर उतनी ही अच्छी प्लेयर्स की आपस में दोस्ती है. आप यदि रन बनाते हैं तो आपका विपक्षी आपकी प्रशंसा करेगा, फिर भारत-पाक के बीच मैच में तो प्लेयर्स अपना 2000% झोंक देता है. ये उन कुछ मैच में से एक होते हैं, जो मैं हर हाल में देखना पसंद करता हूं.

उन्होंने 1984 के एशिया कप में भारत-पाकिस्तान मैच का जिक्र करते हुए कहा, मेरे सामने दुनिया के सबसे बेस्ट इनकटर फेंकने वाले गेंदबाजों में से एक सरफराज नवाज (Sarfaraz Nawaz) बॉलिंग कर रहे थे. मिड ऑन पर लेग स्पिनर अब्दुल कादिर (Abdul Qadir) खड़े थे. सरफराज ने मुझे इनकटर फेंकी, मुझे पता था कि उनकी गेंद आखिरी वक्त पर पलटती है तो मैं लास्ट तक देखता रहा. ऐसा लगा कि मानो मैंने गेंद खेली ही नहीं. सरफराज भी एलबीडब्ल्यू की अपील में चिल्ला पड़े, लेकिन मैंने बिल्कुल आखिरी वक्त पर गेंद को स्क्वॉयर लेग की तरफ फ्लिक कर दिया. 

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Indian Cricket team asia cup 1984
1984 के एशिया कप में खेलने वाली भारतीय क्रिकेट टीम.

सुरिंदर बोले, मैं रन लेने के लिए दौड़ रहा था तो कादिर पंजाबी में सरफराज से कह रहे थे कि ये तो बच गया. सरफराज भी पंजाबी में बोले, मुझे क्या पता, इस गेंद पर तो कोई नहीं बचता. मैं सुनकर हंस रहा था. गेंद तब तक चौके पर चली गई. तब कादिर सरफराज से बोले, इसे गेंद का संगीत सुना (मतलब बाउंसर मार दे). मैं सुनकर हंसा और पंजाबी में कहा, कादिर भाई मुझे भी पंजाबी आती है. इस पर कादिर हंसे और बोले ओए मैंने कुछ कहा ही नहीं है. मैं भी पलटकर बोला कि मैंने भी कुछ नहीं सुना है. 

सुरिंदर ने आगे कहा, इसके बाद कादिर ने कमेंट नहीं किया. हम लोग बाद में इस बात पर खूब हंसे. कादिर आखिर तक मेरे दोस्त रहे. सरफराज आजकल इंग्लैंड में है, लेकिन उनसे रेगुलर आज भी बात होती है.

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शारजाह के दर्शकों की बात ही कुछ और होती है

सुरिंदर ने कहा, दुनिया भर में शारजाह के क्रिकेट फैंस की बात ही अलग होती है. वे इतना शोर मचाते हैं कि आप कुछ सुन भी नहीं पाते. 1984 के मैच में तो दर्शक अपने साथ बैटरी वाले लाउडस्पीकर लाए थे. वहीं से चिल्ला रहे थे. इतना शोर था कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. ज्यादातर पाकिस्तानी सपोर्टर थे, लेकिन हम भी उन्हें देखकर जोश में आ रहे थे. हमने सोचा कि ये हमें सपोर्ट कर रहे हैं. बाद में पता लगा कि वे तो पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहे थे.

आज भी यूएई के दर्शक ऐसे ही हैं. कल (शनिवार) को श्रीलंका-अफगानिस्तान मैच देखा. एक स्टैंड में श्रीलंका के दर्शक थे तो दूसरे में अफगानी, लेकिन जोश वही पुराने शारजाह जैसा दिख रहा था.

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1984 में युवा टीम थी, प्लेइंग कंडीशंस भी नहीं पता थीं, लेकिन बस जीतना था

38 साल पहले एशिया कप की शुरुआत की बात करते सुरिंदर कहते हैं, अब्दुल रहमान बुखातिर ने शारजाह में रेत के बीच मैदान बनाकर करिश्मा कर दिया था. अब तो अरब देशों में जगह-जगह क्रिकेट खेली जा रही है, लेकिन इस सपने को हकीकत बुखातिर ने ही बनाया. 

surinder khanna 1984

सुरिंदर ने कहा, 1983 वर्ल्ड कप जीत के कुछ ही महीनों बाद हम लोग पहला एशिया कप खेल रहे थे, लेकिन कपिल देव (Kapil Dev) टीम में नहीं थे. उनके घुटने का ऑपरेशन हुआ था. हां, वे कमेंट्री बॉक्स में थे और मैच के बाद टीम से मिलते थे. कप्तानी सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) कर रहे थे, जो बेहद बेहतरीन खिलाड़ी थे. टीम में कपिल नहीं थे, लेकिन मनोज प्रभाकर, चेतन शर्मा के तौर पर युवा गेंदबाज और मदनलाल व रोजर बिन्नी का अनुभव था. हमें ये नहीं पता था कि रेत के बीच कैसे खेलेंगे, किस तरह का माहौल, मौसम होगा, लेकिन मन में बस एक बात थी कि जीतना है. 

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पिछली बार यहां भारत हारा, लेकिन इस बार जीत की उम्मीद

सुरिंदर से जब यह पूछा गया कि पिछली बार भारत को इसी मैदान पर टी20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान से हार मिली थी, ऐसे में इस बार के लिए वे क्या सोचते हैं? उन्होंने कहा, टी20 का मैच लॉटरी की तरह होता है. पूरे मैच में अच्छा खेली टीम आखिरी पलों में हार जाती है. मैच में हर खिलाड़ी जीत के लिए मैदान पर उतरता है. दोनों ही टीम के खिलाड़ी अच्छा खेलते हैं. ऐसे में वही जीतेगा, जो बढ़िया खेलेगा. उन्होंने कहा, भारतीय टीम से उम्मीद है कि वे इस बार मैच जीतेंगे.

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भारत की जीत के लिए बिहार के मंदिर पहुंचे सुरिंदर

दिल्ली के रहने वाले सुरिंदर खन्ना से जब फोन पर यह बातचीत हो रही थी तो वे बिहार के पटना में थे. दरअसल वे शनिवार को गोपालगंज में मां थावे मंदिर में पूजा करने पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि मैं दुबई में एशिया कप के दौरान भारतीय टीम की जीत के लिए आशीर्वाद मांगने मां थावे मंदिर गया था. हमारी टीम बढ़िया है और बेहतर फॉर्म में है. इसलिए उम्मीद है कि वही चैंपियन बनेगी.

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एशिया कप के सबसे पहले भारत-पाक मैच के हीरो की जुबानी जानिए 38 साल पुराना मैच
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एशिया कप के सबसे पहले भारत-पाक मैच के हीरो की जुबानी जानिए 38 साल पुराने मैच की कहानी