पहले के जमाने में घुटनों या फिर जोड़ों में दर्द की समस्या ज्यदातर बुजुर्गों में (Arthritis) देखने को मिलती थी. लेकिन, आजकल खराब लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतों और फिजिकल एक्टिविटी की कमी और अन्य कई कारणों से युवा और बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. बता दें कि बचपन में होने वाले अर्थराइटिस को मेडिकल की भाषा में जुवेनाइल अर्थराइटिस (Juvenile Arthritis) कहा जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ सालों में बच्चों में जुवेनाइल अर्थराइटिस (Juvenile Arthritis Symptoms) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में इसके लक्षणों के बारे में जानकारी होना जरूरी है. तो आइए जानते हैं क्या है जुवेनाइल अर्थराइटिस? इसके लक्षण और कारण क्या हैं....
क्या होता है जुवेनाइल अर्थराइटिस?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जुवेनाइल अर्थराइटिस बच्चों में गठिया का एक रूप है और यह गंभीर बीमारी 16 साल या उससे कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है. बच्चों को अपनी चपेट में लेने वाली यह बीमारी एक ऑटो इम्यून बीमारी है और कई मामलों में यह बीमारी ठीक भी हो जाती है, लेकिन बढ़ते बच्चों में यह हड्डियों की ग्रोथ के लिए ठीक नहीं है..
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जानें क्या हैं इसके लक्षण
जोड़ों में दर्द की समस्या होना
रूक-रूककर दर्द बढ़ना
चलने-फिरने में परेशानी होना
जोड़ों में अकड़न की समस्या
बैठने पर तेज दर्द होना
उंगली पर गांठ बनना
हाथ-पैर की उंगलियों की हड्डी का बढ़ना
क्या हैं इसके कारण?
अर्थराइटिस एक जेनेटिक बीमारी होती है, ऐसे में अगर आपके परिवार में किसी को अर्थराइटिस की समस्या है तो बच्चों में भी इसके होने का जोखिम बढ़ जाता है. यही वजह है कि अब कम उम्र के युवाओं को भी यह बीमारी अपनी गिरफ्त में ले रही है. इसके अलावा इस बीमारी के बढ़ने का कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल भी है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आजकल बच्चे फोन, टीवी, मोबाइल में ज्यादा व्यस्त रहते हैं, जिसके कारण उनकी फिजिकल एक्टिविटी जीरो हो चुकी है, जिसका बुरा असर हड्डियों पर भी पड़ रहा है. ऐसे में बच्चों की हड्डियों को हेल्दी और मजबूत बनाए रखने के लिए खानपान के साथ उनकी एक्सरसाइज पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है. साथ ही डाइट में न्यूट्रिशन की कमी से भी बच्चों को ये प्रॉब्लम हो सकती है.
कैसे करें बचाव
इसके लिए जरूरी है कि आप बच्चों की लाइफस्टाइल पर ध्यान दें और उन्हें फिजिकल एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करें. साथ ही सर्दी हो या गर्मी बच्चे को गुनगुने पानी से नहाने को कहें और उनकी डाइट में एंटी-इन्फ्लेमेटरी फूड्स शामिल करें. इसके अलावा डॉक्टर से सलाह लेने के बाद उन्हें किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी रूटीन में शामिल कर सकते हैं.
Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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बड़ों को ही नहीं, बच्चों को भी हो सकता है गठिया रोग, जानें क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय