जब हम सुबह उठते हैं तो हमारे मन में कई तरह के विचार (Types of Thoughts) आते हैं. कई बार आप बहुत सारे नकारात्मक विचारों (Negative Thoughts) के साथ जागते हैं जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को प्रभावित करते हैं. आपकी निर्णय लेने की क्षमता (Decision Ability) धीरे-धीरे कम होने लगती है. यह ख़राब मानसिक स्वास्थ्य (Bad Mental Health) का संकेत है.
कई बार हमें दूसरों की आलोचना का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी हम किसी की आलोचना भी करते हैं, कभी-कभी हम दूसरों की आलोचना भी सुनते हैं, लेकिन लगातार आलोचना सुनना या करना भी आपको निगेटिविटी से भर सकता है. अगर आप किसी भी तरह की निगेटिविटी से घिरे हैं तो चलिए जानें इससे कैसे दूरी बनाएं ताकि आप बेहतर मूड में रहें और बेहतर काम कर सकें.
नकारात्मक विचारों से कैसे छुटकारा पाएं?
सबसे पहले, नकारात्मक विचार या चर्चाओं से मुक्त होने के लिए प्रयास करें, इससे भागे नहींं. समस्याओं के बीच ही उसका हल भी होता है. अगर आप सही हैं तो किसी को बहुत सफाई न दें और न ही हर किसी से अपनी बात कहते फिरें.
ऐसे लोगों से दूर रहें जो निगेटिव हैं
किसी भी ऐसे लोगों को साथ न रहे जो हमेशा किसी की बुराई करते रहते हैं या किसी की टांग खींचकर खुश होते हैं. ऐसे लोग कभी किसी के नहीं होते और एक दिन ऐसे लोग आपकी भी यही स्थिति करेंगे. निगेटिव बात और काम करने वालों के साथ रहकर आप भी निगेटिव होते जाएंगे.
सकारात्मक अपने अंदर भरें
अपने आप से यह कहने के बजाय कि "मैं इसे संभाल नहीं सकता" या "यह असंभव है", अपने आप को यह याद दिलाने का प्रयास करें कि "आप यह कर सकते हैं" या "मुझे बस प्रयास करना है". जब आप कोई गलती करते हैं तो अपने आप से यह कहने के बजाय कि "मैं कुछ सही नहीं कर सकता", अपने आप को याद दिलाएं कि "मैं अगली बार बेहतर कर सकता हूं" या "कम से कम मैंने कुछ सीखा". अपने आप को याद दिलाएं कि "हर किसी में ताकत और कमजोरियां होती हैं."
खुद से बातें करें?
1-यदि आपका स्वास्थ्य खराब है तो आपको खुद से संवाद करना चाहिए. आपको कई फायदे मिलते हैं. यह आपके दिमाग पर बहुत असर डालता है. आपके कार्य और अभ्यास में सुधार होता है.
2-जब आप खुद से बात करते हैं तो सकारात्मकता बढ़ती है. इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है.
3-इससे आपका तनाव भी कम होता है. इससे निर्णय लेने की क्षमता में भी सुधार होता है. यह जीवन में लचीलापन लाता है. स्व-चर्चा व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में योगदान देती है.
4-इससे नई चुनौतियों का सामना करने में भी मदद मिलती है. सकारात्मकता और रचनात्मकता भी बढ़ती है. यह विधि व्यक्ति को प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने में सक्षम बनाती है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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