डीएनए हिंदी : मीठी जुबान पर हम जितना फक्र करते हैं, उससे ज्यादा चिंता की बात है हमारे खून में बढ़ता हुआ मीठा. यह ऐसा स्लो किलर है कि हमारे मन की मिठास मार देता है. बीमारी से कड़वा मन जुबान भी कड़वी कर देता है. यानी डायबिटीज हमारे जीवन की तमाम खूबसूरत चीजें छीन लेता है. स्वाद तक पर इसका पहरा लग जाता है.
दरअसल डायबिटीज हमारी बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल का नतीजा है. चिंता की बात ये है कि कुछ साल पहले तक बढ़ती उम्र में होने वाली यह बीमारी अब हर उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रही है. लेकिन अब भी अगर हमने अपनी लाइफस्टाइल बदल ली, अपने डाइट पर ध्यान दे दिया तो हम ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकते है. डाइट में से सबसे जरूरी है सही आटे का चुनाव. ऐसा आटा जो डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार होता है.
सही आटे का चयन जरूरी
डायबिटीज के मरीजों को चावल के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है, हालांकि अब के कई शोधों ने बताया है कि निश्चित मात्रा में अगर ब्राउन राइस का इस्तेमाल किया जाए तो वह शुगर मरीजों के लिए बहुत नुकसानदेह नहीं है. ऐसे में बेहतर है भोजन के रूप में रोटी का इस्तेमाल. पर अगर रोटी के लिए हम सही आटे का इस्तेमाल नहीं करते तो हमारे शरीर में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट की मात्रा जाएगी और इससे ब्लड शुगर बढ़ने की आशंका रहती है. बता दें कि गेहूं के आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) ज्यादा होता है. यही कारण है कि इसके अधिक सेवन से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर भी बढ़ जाता है.
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रागी से दूर होगा रोग
रागी को मड़ुआ भी कहते हैं. यह सेहत के लिए बहुत ही बेहतर है. इसमें भरपूर मात्रा में आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर होते हैं. इस आटे के सेवन से लंबे समय तक भूख नहीं लगती, जिसकी वजह से वजन भी घटाता है. डायबिटीज में वजन पर कंट्रोल रखना जरूरी होता है. दूसरी खूबी यह है कि रागी का आटा शुगर लेवल नहीं बढ़ाता. इसलिए रागी आटे की रोटी या इससे बने डोसा या चीला भी खा सकते हैं.
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जौ का आटा
जौ का आटा ब्लड शुगर और वजन दोनों को कंट्रोल करता है. इस आटे में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम भरपूर होता है. हाई फाइबर होने के कारण यह लंबे समय तक पेट भरा रखता है. जौ के आटे में कार्बोहाइड्रेट काफी कम मात्रा में होता है, इसलिए इसे पचाना भी आसान है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले हमेशा अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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