'किसी से प्यार करना बुरा नहीं है लेकिन प्यार के नाम पर खुद को खो देना. 'डोरमेट' बन जाना ठीक नहीं है.' यह कहती हैं गुरुग्राम में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक. डॉ. मलिक का यह बयान इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT University) के केस को देखते हुए बहुत तार्किक लगता है. बता दें, KIIT University में 21 साल की प्रकृति लामसाल ने खुदकुशी कर ली थी. इस केस में प्रकृति के तथाकथित प्रेमी अद्विक श्रीवास्तव पुलिस हिरासत में है. उस पर आरोप है कि उसकी वजह से प्रकृति ने मौत को गले लगाया.
यहां भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी की भूमिका भी संदिग्ध है. मामले पर प्रदर्शन शुरू होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अचानक सभी नेपाली छात्रों को तत्काल परिसर खाली करने का आदेश दे दिया. इस मामले में नेपाल के प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा. अब इंस्टिट्यूट ने यूटर्न ले लिया है और अपना फैसला वापस ले लिया. फिर नेपाल के छात्रों को कैंपस में रहने और कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी गई. बात यहां सिर्फ छात्रों के प्रदर्शन की ही नहीं बल्कि एक छात्रा की 'अब्यूजिव रिलेशनशिप' में रहने की वजह से मौत की है.
विश्वविद्यालय का माफीनाम
Letter of Apology from the Vice-Chancellor, KIIT-DU
— KIIT - Kalinga Institute of Industrial Technology (@KIITUniversity) February 18, 2025
KIIT has always been a home to students from across the world, fostering a culture of inclusivity, respect, and care. We deeply regret the recent incident and reaffirm our commitment to the safety, dignity, and well-being of… pic.twitter.com/mJb1Zo9jGj
फिर लौटते हैं डॉक्टर की बात ओर...
इस संदर्भ में हमें गुरुग्राम में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक की बात याद करनी चाहिए. वे कहती हैं कि किसी से प्यार करना बुरा नहीं है लेकिन प्यार के नाम पर खुद को खो देना. 'डोरमेट' बन जाना ठीक नहीं है. लड़का हो या लड़की पर उन्हें यह ध्यान देना चाहिए कि अगर आपका पार्टनर आपको बार-बार नीचा दिखाता है, अपने मन मुताबिक काम करने से रोकता है, धोखा देता है, अक्सर झूठ बोलता है, एडजस्टमेंट के लिए मना लेता है, लेकिन खुद कभी एडजस्ट नहीं करता, बात-बात पर बेइज्जती करता है तो उस रिश्ते से तुरंत से दूर हो जाएं. ये प्यार नहीं प्यार के नाम पर बेड़ियां हैं और फिर मशहूर शायर कैफी आजमी ने भी कहा है, 'क़ैद बन जाए मोहब्बत तो मोहब्बत से निकल.' ऐसी मोहब्बत काम की नहीं जो जान ले ले.
इनकी बात के अर्थ को अलग-अलग संदर्भों में देखें तो प्रेम, जीवन, रिश्ते सबकी बुनियाद सामने आते हैं. प्रेम - प्रेरणा या बंधन? प्रेम, जिसे दुनिया में सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है, कभी-कभी यह ऐसा बंधन बन जाता है जो व्यक्ति को घुटन महसूस कराता है. ओडिशा के प्रतिष्ठित KIIT विश्वविद्यालय के एक छात्र की आत्महत्या ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रेम वास्तव में स्वतंत्रता देता है या समाज ने इसे मजबूरी बना दिया है?
एक होनहार जीवन का अंत
हाल ही में KIIT की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली, जिसका कारण एक अब्यूजिव रिलेशनशिप बताया जा रहा है. शुरुआती जांच में पता चला है कि छात्र मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न का सामना कर रही थी. सोशल मीडिया पर अद्विक श्रीवास्तव की ओर से प्रताड़ित किए जाने का जिक्र किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि बॉयफ्रेंड ने लड़की को इतना प्रताड़ित किया कि उसने मौत को गले लगा लिया. प्रेम के नाम पर किए गए अत्याचारों ने उसे इस कदर तोड़ दिया कि उसने जीवन समाप्त करने का निर्णय कर लिया.
'बस इक सनम चाहिए...' का सामाजिक दबाव
हमारा समाज 'बस इक सनम चाहिए' जैसी अवधारणा पर टिका हुआ है, जहां हर व्यक्ति को यह सिखाया जाता है कि जीवन में सच्चा प्रेम ही सब कुछ है. बचपन से ही हमें यह विचार दिया जाता है कि जब तक हमारे जीवन में कोई साथी नहीं होगा, तब तक हम अधूरे हैं, लेकिन यह विचारधारा कई बार किसी के लिए घातक भी साबित हो सकती है. प्रेम अगर सहारा बने तो वह सुंदर होता है, लेकिन जब वह मजबूरी बन जाए, तो वह एक जंजीर से कम नहीं.
अब्यूज़िव रिलेशनशिप: एक अनदेखा अपराध
आज भी हमारे समाज में अब्यूजिव रिलेशनशिप को गंभीरता से नहीं लिया जाता. भावनात्मक और मानसिक प्रताड़ना को अक्सर प्रेम का ही एक हिस्सा मान लिया जाता है. जब एक व्यक्ति किसी जहरीले रिश्ते में फंस जाता है, तो वह धीरे-धीरे अपने आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता को खो देता है. लड़कियां इस तरह के जाल में जल्दी फंसती हैं. उन्हें प्यार के नाम पर हर बंधन और जोर-जबर्दस्ती मंजूर होता है लेकिन उस रिसते रिश्ते को लात मारना नहीं. साथी को सुधारते-सुधारते मौत को गले लगा लेती हैं.
सच्चे प्रेम की 'मौत'
इस घटना ने प्रेम की उस परिभाषा पर भी सवाल खड़े किए हैं, जिसे आज के युवा जी रहे हैं. क्या प्रेम त्याग, सम्मान और स्वतंत्रता का दूसरा नाम नहीं है? यदि किसी रिश्ते में सिर्फ दर्द, दबाव और उत्पीड़न हो, तो क्या वह प्रेम कहलाने योग्य है? जब कोई शख्स प्रेम में होता है कोई दूसरा ओप्रेशर बनता है तो ऐसे वक्त में खुद की जान देने से बेहतर है खुद से संवाद करें. रिश्ते को लेकर मनन करें.
ब्रेकअप से गुजर रहे युवा ध्यान दें
अगर आप ब्रेकअप के दौर से गुजर रहे हैं तो प्रेमी को भूलने की कोशिश न करें. जितना आप उसे भूलने की कोशिश करेंगे आपको उसकी उतनी याद आएगी. इसलिए खुद को वक्त दें और धीरे-धीरे उस याद को घुलने दें. दूसरा, ऐसी स्थिति में अकेले न रहें. दोस्त, परिवार का सपोर्ट मांगें. करियर पर ध्यान दें. खुद को दोष तो बिल्कुल न दें. याद रखें रिलेशनशिप ब्रेक हुई है आपकी दोस्ती नहीं. ब्रेकअप को सेलिब्रेट करें. हमेशा पॉजिटिव रहें और खुद को सोशली व्यस्त रखें.
आगे की दिशा क्या?
हमें यह समझना होगा कि हर रिश्ता जरूरी नहीं कि हमेशा के लिए हो. अगर कोई रिश्ता आपको मानसिक शांति नहीं देता, तो उसे छोड़ देना ही बेहतर होता है. आत्महत्या कोई समाधान नहीं है, बल्कि आत्मसम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता देना सबसे महत्वपूर्ण है. KIIT छात्र की इस घटना से हमें सीख लेनी चाहिए और अपने आसपास के लोगों की मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश करनी चाहिए. प्रेम का अर्थ केवल किसी के साथ रहना नहीं, बल्कि उनके सम्मान और स्वतंत्रता को भी बनाए रखना है.
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