कथाकार राजू शर्मा को उपन्यास 'मतिभ्रम' के लिए दिया जाएगा दूसरा सेतु पांडुलिपि पुरस्कार

Novel Matibhram: नौकरशाही की पृष्ठभूमि पर लिखे इस नए उपन्यास 'मतिभ्रम' में राजू शर्मा ने समकालीन भारत की विसंगतियों को बड़े तीखे ढंग से उजागर किया है. सम्मान समारोह के रोज ही इस उपन्यास का लोकार्पण भी किया जाएगा, जिसपर चर्चा करेंगे ममता कालिया, मदन कश्यप, अखिलेश, रवींद्र त्रिपाठी और संजीव कुमार.

DNA Katha Sahitya: अर्पण कुमार की कहानी 'ऑफिस की कार, एक अनार सौ बीमार'

DNA Katha: पदोन्नति और मनोनुकूल स्थानांतरण के लिए उन्होंने कितने पापड़ बेले होंगे, कितने कंधों का इस्तेमाल किया होगा, कितने सहकर्मियों का पत्ता काटा होगा- अभिनव अंदाज लगाना चाहता और हार जाता. सरोज की डीएनए मैपिंग उसके वश से बाहर की बात थी.

DNA Katha Sahitya: प्रकृति और पर्यावरण चिंता से लबरेज मार्टिन जॉन की कहानी 'दर्द-ए-दरख्त'

Environmental Concern: पश्चिम बंगाल में रहनेवाले और रेलवे की नौकरी से सेवानिवृत्त हुए मार्टिन जॉन का जन्म झारखंड में हुआ था. शायद यह भी एक वजह है कि उनकी कहानियों में पर्यावरण की चिंता झलकती है. DNA Lit में छापी जा रही यह कहानी भी प्रकृति के प्रति जॉन की सजगता दिखाती है.

DNA Katha Sahitya: प्रेम और समर्पण के रेशे से बुनी अर्चना सिन्हा की कहानी अपराधमुक्ति

DNA Katha: अर्चना सिन्हा की कहानियों के केंद्रीय पात्र मध्यवर्गीय स्त्रियां होती हैं. ये स्त्रियां विचार करना जानती हैं, तर्क करना जानती हैं, जिरह करना जानती हैं, भावनाएं नियंत्रित करना या उन्हें मार देना जानती हैं. लेकिन ये स्त्रियां स्वाभिमानी भी हैं और जीवन को अपने आदर्शों और शर्तों पर जीती हैं.

DNA Katha Sahitya: काल्पनिक संशय की धुंध छांटती प्रमोद द्विवेदी की कहानी 'बुखार उतर गया'

Social Psychology: प्रमोद द्विवेदी ने पत्रकारिता में एक लंबी पारी खेली है. इस बीच समाज को जानने-समझने की उनकी दृष्टि और पैनी हुई है. उन्हें पता है कि अब के दौर में एक-दूसरे को लेकर हमसब काल्पनिक संशय की दुनिया में जी रहे हैं. इसी संशय का ताना-बाना बुनती है प्रमोद द्विवेदी की कहानी 'बुखार उतर गया'.

DNA Exclusive: लेखक उदय प्रकाश से खास बातचीत, कहा- हमारा संकट AI नहीं, NI है

Exclusive Interview: इस दौर के स्टार लेखक उदय प्रकाश ने डीएनए के अनुराग अन्वेषी से बातचीत में लेखन से लेकर कृत्रिम मेधा तक पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि असल संकट AI नहीं, बल्कि वह महत्त्वाकांक्षा है जो स्वाभाविक मेधा की वजह से पनपती है और विनाश की हद तक बढ़ती है. इस पर हमें पुनर्विचार करना चाहिए.

शेखर जोशी: अलविदा कोसी के घटवार

शेखर जोशी हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार थे. 90 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. पढ़ें असिस्टेंट प्रोफेसर पल्लव का यह संस्मरण.