Book Review: शंभु बादल की कविताओं में मुखर है झारखंडी आवाज
Book Review: शंभु बादल की कविता 'गुजरा' उस स्वर का एक्स्टेंशन दिखती है जो 'कोल्हा मोची' में सुनाई पड़ता है. 'कोल्हा मोची' में कवि दिकुओं की पहचान करने को कहता है, लेकिन 'गुजरा' कविता में पहुंच कर कवि चाहता है कि हम खुद की पहचान करें, अपनी खूबियों की पहचान करें, अपने महत्त्व की पहचान करें.
Book Review: 'स्त्रियोचित' की नई परिभाषा गढ़ती कविताओं का संग्रह 'उत्सव का पुष्प नहीं हूँ'
Women's Discussion: अनुराधा सिंह के कविता संग्रह 'उत्सव का पुष्प नहीं हूं' की कविताएं जब अपने पाठ के बाद मन-मस्तिष्क में खुलने लगती हैं तो जिन धमनियों में स्त्री अस्तित्व के बरअक्स श्रेष्ठता बोध भरा होता है, वे अचानक से कुंद पड़ने लगती हैं. यहीं से शुरू होता है स्त्री विमर्श.
Book Review:दिल्ली के प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे को समझने का अवसर देती है 'दिल्ली दरबार'
New Book Delhi Darbar: मनोज मिश्र की लिखी किताब 'दिल्ली दरबार' हमारा परिचय दिल्ली के प्रशासनिक ढांचे से कराती है, वह विस्तार से बताती है कि लोक-व्यवस्था, पुलिस और भूमि यानी दिल्ली विकास प्राधिकरण केंद्र सरकार यानी उपराज्यपाल के अधीन किस प्रावधान के तहत हैं और इसके पीछे क्या तर्क है.
Book Review: कविता संग्रह 'सूरज का आठवाँ घोड़ा' में हैं मानवीय सरोकारों से गुथीं कविताएं
Hindi Literature: कश्मकश वाली पीढ़ी के रचनाकार हैं डॉ. निवास चंद्र ठाकुर. इनकी कविताओं में आजादी के बाद हुए मोहभंग की पीड़ा दिखती है. नैतिक मूल्यों के जतन की कोशिश दिखती है. परंपरा और आधुनिकता के बीच संघर्ष दिखता है. तार्किक सवाल दिखते हैं और आदर्शवादी सुझाव भी.
Book Review: रोशनी की तलाश करती कविताएं हैं 'न्यूटन भौंचक्का था' किताब में
यह वरिष्ठ कवि निरंजन श्रोत्रिय का नया कविता संग्रह है जो उनके पिछले कविता संग्रह के एक लंबे अंतराल बाद आया है.