कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं. दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ कई समझौतों को भी निलंबित कर दिया है. ब्रिटिश शासन से आजादी और विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार ऐसे तनाव उत्पन्न हुए हैं. दोनों देशों के बीच तीन बार आमने-सामने युद्ध हुए. जिसमें पाकिस्तान को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा.
तनोट माता का मंदिर का चमत्कार
17 नवंबर 1965 की सुबह की घटना है जब पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना की तनोट चौकी पर गोलीबारी शुरू कर दी थी. पाकिस्तानी सेना ने मंदिर के आसपास लगभग 3,000 बम गिराए थे. लेकिन माता तनोट ने ऐसा चमत्कार किया कि पाकिस्तानी सेना को भागना पड़ा और उनके मंसूबे नाकाम हो गए थे. इस युद्ध में तनोट माता के मंदिर की कहानी भी दर्ज है, जिसका चमत्कार लोग आज तक नहीं भूल पाए हैं.
तनोट माता का मंदिर राजस्थान के जैसलमेर से लगभग 120 किलोमीटर दूर भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में जैसलमेर के भाटी राजपूत शासक महारावल लोंकावत ने करवाया था. यह मंदिर माता तनोट को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है. थार की वैष्णो देवी और सैनिकों की देवी के उपनाम से भी जाना जाता है. 1965 और 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों के दौरान इस मंदिर के चमत्कार आज भी पाकिस्तानी सेना के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं.
जब टूट गया था भारतीय सेना का संपर्क
पहली कहानी 16 नवंबर 1965 की रात से शुरू होती है. पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी के कारण तनोट पोस्ट पर तैनात लगभग 200 भारतीय सैनिकों का अपने साथियों से संपर्क टूट गया. पाकिस्तान की ओर से कभी भी हमला हो सकता है. इसलिए, तनोट माता कई सैनिकों के सपनों में प्रकट हुईं. उन्होंने सैनिकों को स्वप्न में बताया कि उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि देवी माँ उनकी रक्षा करेंगी.
पाक ने गिराए थे 3 हजार बम
17 नवंबर की सुबह पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना की तनोट चौकी पर गोलीबारी शुरू कर दी. पाकिस्तानी सेना ने मंदिर के आसपास लगभग 3,000 बम गिराये. लेकिन देवी का ऐसा चमत्कार हुआ कि कोई भी बम सही निशाने पर नहीं लगा. जो मंदिर में गिरा वह फटा नहीं. इस बीच भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू कर दिया. देवी माता के आशीर्वाद के कारण पाकिस्तानी सेना वहां कुछ नहीं कर सकी.
यहां तक कि 1971 में भी पाकिस्तानी सेना को भागना पड़ा था.
1971 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच एक बार फिर लड़ाई छिड़ गई. बांग्लादेश की आजादी के लिए हो रहे इस युद्ध में भारतीय सेना का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने राजस्थान से सटी सीमा पर सीधी गोलीबारी शुरू कर दी. 1965 में भारत द्वारा किये गये हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तानी सेना ने तनोट गांव के पास भारतीय सेना की लोंगेवाला चौकी पर हमला किया. उस समय भारतीय सेना के सिर्फ 120 जवान ही वहां मौजूद थे, जबकि पाकिस्तानी सेना पूरी तरह तैयार थी.
और भारतीय सेना ने लोंगेवाला जीत लिया था
इसके बावजूद भारतीय सेना के जवानों ने शहादत के जोखिम की परवाह किए बिना मां तनोट के आशीर्वाद से पाकिस्तानी सेना से आमने-सामने की लड़ाई लड़ी, उन्हें पराजित किया और खदेड़ दिया. 16 दिसंबर को भारतीय सेना ने लोंगेवाला में विजय हासिल की. इसी कारण 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.
बॉर्डर फिल्म में भी दिखा था ये सीन
बॉर्डर फिल्म भी लोंगेवाला की लड़ाई पर आधारित है, यही वजह है कि इसमें मां तनोट मंदिर को दिखाया गया है. कहा जाता है कि मां तनोट के चमत्कार के कारण ही विशाल पाकिस्तानी सेना भी भारतीय सेना को नुकसान नहीं पहुंचा सकी थी. युद्ध समाप्त होने के बाद बीएसएफ ने तनोट माता मंदिर का प्रभार अपने हाथ में ले लिया. तब से बीएसएफ माता के मंदिर की देखभाल कर रही है. आज इस मंदिर को बम वाली माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
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