सुनते थे खामोशी शोर से घबराती है, खामोशी ही शोर मचाए - ये तो हद है. जीहां, पहलगाम की व्यस्त रहने वाली सड़कें अब सूनी हैं. पर्यटकों की हंसी-खुशी में शरीक रहने वाली गलियां, अब वीरान हैं. पर्यटकों की आवाजाही बंद होने से लोकल इकॉनोमी संघर्ष कर रही है. होटल, रेस्तरां और लोकल मार्केट सूने-सूने से हैं. टैक्सियां खड़ी हैं, मगर उनमें बैठने वाली सवारियां पहलगाम से दूर हैं. जिनके मन में सिर्फ पहलगाम ही नहीं, पूरे कश्मीर को लेकर फिर से एक संदेह सिर उठाने लगा है, उनके संदेह को दूर करने के लिए श्रीनगर के युवाओं का एक जत्था, पहलगाम की खामोश सड़कों पर उतरा. युवाओं का यह समूह अपनी लग्जरी कारों में सवार होकर निकला. हर कार पर एक ही मेसेज चिपका दिखा. इन स्टिकरों पर लिखा था - आतंक के खिलाफ एकजुट. इन युवाओं का मेसेज बिल्कुल साफ है. वे कहना चाहते हैं कि कोई भी आतंकवाद अब के कश्मीर को परिभाषित नहीं कर सकता. अब के दौर में कश्मीर का मतलब है - शांति, सुकून और एकजुटता. श्रीनगर से आए युवाओं के जत्थे में शामिल इम्तियाज कहते हैं कि हम कश्मीरी आतंकवादी नहीं हैं.
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palgam
Language
Hindi
Section Hindi
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पहलगाम में युवाओं के जत्थे ने कहा 'आतंकवादी नहीं हैं कश्मीरी'
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00:02:51
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Luxury cars roar on Pahalgam streets to restore hope, urge tourists to return after attack
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