केंद्र की मोदी सरकार का जातीय सर्वेक्षण कराने का फैसला लेना भर था, इसका सीधा असर बिहार में दिख रहा है.  केंद्र द्वारा लिए गए इस फैसले से बिहार में सियासी भूचाल आ गया है. केंद्र के इस निर्णय को विपक्षी INDIA गठबंधन के हमलों को कमजोर करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. ध्यान रहे बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. उससे पहले सरकार का ये फैसला उन हिंदू वोटों को संगठित कर सकता है, जिनके विषय में माना यही जा रहा था कि विपक्ष के कारणवश उनमें बिखराव है.

चूंकि बिहार जैसे राज्य में जाति को हमेशा ही तमाम अन्य मुद्दों से ऊपर रखा गया है इसलिए कहा ये भी जा रहा है कि इस सेंसस से भाजपा को बड़ा फायदा मिल सकता है. सरकार के अचानक लिए गए इस फैसले पर यूं तो कई बातें हो रही हैं.  लेकिन जब इस फैसले को देखें और इसका अवलोकन करें तो मिलता है कि केंद्र ने इस निर्णय को लेते हुए किसी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं की और ये उसकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. 

माना जा रहा है कि इस फैसले को लेते हुए सरकार ने कई अहम कारकों को अपने ध्यान में रखा. बताया जा रहा है कि सरकार ने यह फैसला परिसीमन को ध्यान में रखकर भी किया है. वहीं एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि सरकार जाति जनगणना के फैसले से पहलगाम आतंकी हमले से ध्यान हटाने की कोशिश नहीं कर रही है. 

बता दें कि नीतीश कुमार की सरकार ने 2023 में ही राज्य स्तर पर जातीय सेंसस कराया था, जिसकी रिपोर्ट उसी साल 2 अक्टूबर को सार्वजनिक की गई थी. इस सर्वेक्षण को सभी दलों से लेकर उस समय विपक्ष में रही बीजेपी ने सर्वसम्मति से समर्थन दिया था.

बाद में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जैसे ओबीसी नेताओं ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर दोहराने की मांग की. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हाल ही में बिहार की अपनी रैलियों में 2023 के सर्वे को खारिज करते हुए एक नई राष्ट्रीय जाति जनगणना की मांग की. और अब जबकि सरकार ने ये निर्णय ले ही लिया है. तो ये भाजपा का मास्टरस्ट्रोक इसलिए भी है, क्योंकि इसके बाद बिहार के मद्देनजर विपक्ष विशेषकर महागठबंधन के मुद्दों की धार टूट गई है. 

चूंकि बिहार में भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे पर कुछ विशेष नहीं कर पाई है, इसलिए वो रीजनल पार्टियों की तर्ज पर जाति आधारित खेल के लिए कमर कस चुकी है. जिक्र जाति के तहत बिहार का हुआ है, तो हमारे लिए ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि, भाजपा इस बात से परिचित है कि बिहार जैसे राज्य में  ध्रुवीकरण की राजनीति पर जाति आधारित राजनीति हमेशा भारी पड़ी है. इसलिए अगर कोई नुकसान होता है तो उसकी ये नई मुहिम उसकी भरपाई कर सकती है.  

बहरहाल जाति का खेल भाजपा को बिहार विधानसभा चुनावों में फायदा देता है या फिर इससे उसे नुकसान होता है? इसका फैसला तो वक़्त करेगा।  लेकिन जो वर्तमान है और उसमें भी इसमें जो भाजपा या ये कहें कि केंद्र का रुख है उसे देखते हुए इतना तो साफ़ हो गया है कि भाजपा ने उस खेल में एंट्री ली है जिसमें बिहार के क्षेत्रीय दल पारंगत हैं.

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Bihar Assembly Election 2025 Is Caste Census a compulsion of BJP or a masterstroke explained Understand the reason behind this decision before bihar polls
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Bihar Elections में Caste Census बीजेपी की मजबूरी है या मास्टरस्ट्रोक?
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माना जा रहा है कि कास्ट सेंसस बिहार में भाजपा को बड़ा फायदा दे सकता है
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Caste Census बीजेपी की मजबूरी है या मास्टरस्ट्रोक? Bihar Election से पहले इस फैसले की वजह समझिए
 

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