चेन्नई के सुदर्शन और उनकी पत्नी विथिया पिछले 16 वर्षों से अपने घर की छत पर हजारों पक्षियों को भोजन करा रहे हैं. अब यह स्थान न केवल पक्षियों के लिए बल्कि पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण बन चुका है.
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मीडिया से बात करते हुए सुदर्शन बताते हैं कि जब उन्होंने अपने पिता को खोया, तब एक दिन छत पर जाकर देखा कि कुछ तोते खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे. शहर में पेड़ों की भारी कटाई के कारण पक्षियों के पास न खाना बचा था और न ही सुरक्षित जगह. तभी उन्होंने पक्षियों को खाना देना शुरू किया. धीरे-धीरे तोते, कबूतर, चिड़िया समेत अन्य तरह की पक्षी भी जमा होने लगीं.
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दिसंबर से मार्च के बीच तो छत का दृश्य स्वर्ग जैसा हो जाता है. इस दौरान 15,000 से ज्यादा तोते रोज वहां आते हैं. गर्मियों में यह संख्या घटकर 1,000-2,000 रह जाती है, लेकिन उत्साह बना रहता है. सुदर्शन बताते हैं कि उनके तोते उन्हें 'सुदर्शन' नाम से पुकारते हैं.
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सुदर्शन कहते हैं कि उन्होंने शुरुआत में सूरजमुखी के बीज दिए थे, लेकिन स्थानीय तोते उन्हें नहीं खाते. अब वे रोज कच्चे मूंगफली, भिगोया हुआ चावल और मौसमी फल बनाते हैं. यह खाना हर सुबह और शाम ताजा पकाया जाता है.
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उनका कहना है कि स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड और इंग्लैंड से लोग जनवरी के लिए एडवांस में टिकट बुक कराते हैं. हर शाम करीब 100-150 लोग छत के नीचे इकट्ठा होते हैं. बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक, सब पक्षियों को देखकर आनंदित होते हैं.
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तेजी से हो रही शहरीकरण और पेड़ों की कटाई के बीच, सुदर्शन और विथिया की छत उन पक्षियों के लिए उम्मीद की किरण है जिन्हें अब जंगलों में जगह नहीं मिल रही. उनकी यह सेवा एक मिसाल बन गई है.