डीएनए हिन्दी: भारत में तलाक के बढ़ते केसों के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का बड़ा फैसला आया है. तलाक से जुड़े एक मामले पर सुनवाई के दैरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी शादी को बचाए रखना चाहती है और पति उसे खत्म करना चाहता है तो ऐसी स्थिति में कोर्ट आर्टिकल 142 के तहत तलाक (Divorce) की इजाजत नहीं दे सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच से कहा गया कि दंपती सिर्फ 40 दिनों के लिए साथ रहे थे और करीब 2 साल से दोनों अलग रह रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जोर देकर कहा कि हिन्दुस्तान में शादी कोई आकस्मिक घटना नहीं है. हम आज शादी कर लें और कल तलाक ले लें. हम अभी तलाक के पश्चिमी देशों के मानक तक नहीं पहुंचे हैं.
शादी रद्द करने की पति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब एक पक्ष शादी को बचाए रखना चाहता है तो आर्टिकल 142 के तहत हम शादी को खत्म करने की इजाजत नहीं दे सकते हैं.
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बेंच ने कहा कि दंपती हाइली एजुकेटेड है. पति एक एनजीओ चलाता है और पत्नी कनाडा में रहती है. कोर्ट ने कहा कि दंपती को आपसी मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए. सुनवाई के दौरान पत्नी ने कहा कि उसने शादी के लिए कनाडा में अपना सबकुछ छोड़ दिया. वह तलाक नहीं चाहती. वहीं,पति ने तलाक के लिए जोर दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक दोनों पक्ष यह नहीं कहते हैं कि शादी खत्म हो गई है तब तक तलाक नहीं हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने दंपती से मध्यस्थता की कार्रवाई का आग्रह किया. इसके लिए मध्यस्थ के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक पूर्व जज को नियुक्त किया गया है और 3 महीने में रिपोर्ट मांगी है.
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अगर एक पक्ष शादी को बचाए रखना चाहता है तो तलाक नहीं: सुप्रीम कोर्ट