Supreme Court ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है. ज्ञात हो कि यह फैसला मोहम्मद अब्दुल समद बनाम तेलंगाना राज्य के मामले में आया. बताते चलें कि यह फैसला तब आया जब एक व्यक्ति ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था जिसमें उसे अपनी पूर्व पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता के रूप में 10,000 रुपये देने के लिए निर्देशित किया गया था.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिसऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने फैसले में अब्दुल समद की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सीआरपीसी के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश को चैलेंज किया था.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पुष्टि करते हुए अलग-अलग लेकिन एकमत फैसले सुनाए. जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा कि, 'हम इस निष्कर्ष के साथ क्रिमिनल अपील को खारिज कर रहे हैं कि धारा 125 सीआरपीसी सभी महिलाओं पर लागू होती है, न कि केवल विवाहित महिलाओं पर.'
#SupremeCourt rules that a divorced #Muslim woman can ask for maintenance from her husband under Section 125 of CrPC & Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Act, 1986, will not prevail over the secular law.
— Prashant Umrao (@ippatel) July 10, 2024
Bench of Justices BV Nagarathna and Augustine George Masih… pic.twitter.com/y99OINzYtO
पीठ ने इस बात पर भी बल दिया कि पत्नी को दिया जाने वाला मेंटेनेंस दान नहीं है, बल्कि विवाहित महिलाओं का अधिकार है. वहीं जस्टिस नागरत्ना ने ये भी कहा कि, 'कुछ पति इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि पत्नी, जो एक गृहिणी है, भावनात्मक रूप से और अन्य तरीकों से उन पर निर्भर है.
फैसला देते हुए कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि, समय आ गया है जब भारतीय पुरुष को एक गृहिणी की भूमिका और त्याग को पहचानना चाहिए.' अपने फैसले में पीठ ने ये भी स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता मांगने का कानून सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो.
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तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, मिल गया गुजारा भत्ता का अधिकार