सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित J-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जज कहीं के राजकुमार या संप्रभु नहीं हैं, उनका काम सेवा देना होता है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जज एक ऐसा पदाधिकारी होता है, जो अवमानना के लिए दोषी को दंडित करता है और दूसरे के जीवन पर महत्वपूर्ण फैसला लेता है. इसलिए जो भी फैसले लिए जाते हैं उस प्रक्रिया में ट्रांसपेरेंट होनी चाहिए.
जज कहीं के राजकुमार नहीं- CJI चंद्रचूड़
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, 'जज के तौर पर न तो हम कहीं के राजकुमार हैं और न ही संप्रभु हैं, जो किसी भी फैसले के स्पष्टीकरण को दरकिनार कर दें.' उन्होंने कहा कि जज की जिम्मेदारी है कि वह सभी को साथ लेकर चलें. साथ ही उनके फैसले ऐसे हों जो सभी के द्वारा समझे और पढ़े जा सकें.
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इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के बाद सुप्रीम कोर्ट के कामकाज का तराकी काफी बदल गया है. कोर्ट की ट्रांसपेरेंसी बढ़ गई. उन्होंने कहा कि सही और सटीक जानकारी प्रदान कर हम फेक न्यूज से निपटने में पूरा तरह से सक्षम हैं.
J-20 सम्मेलन क्या है?
J-20 सुप्रीम कोर्ट और संवैधानिक अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों का ग्रुप है, जिसके सदस्य G-20 देश हैं. इस साल J-20 सम्मेलन ब्राजीलियन फेडरल सुप्रीम कोर्ट की ओर से आयोजित किया गया है. जानकारी के अनुसार इस सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन समेत कई सुप्रीम कोर्ट के हेड शामिल हुए हैं.
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'प्रिंस नहीं जनता के सेवक हैं जज', CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कही ये बात?