डीएनए हिंदी: भारत ने श्रीलंका (Sri Lanka) के सामरिक रूप से अहम हंबनटोटा बंदरगाह (Hambantota Port) पर चीन के अत्याधुनिक रिसर्च शिप की एंट्री बैन करने पर जवाब दिया है. भारत ने कहा है कि श्रीलंका पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया गया था. श्रीलंका एक संप्रभु देश है और वह अपने फैसले स्वतंत्र रूप से करने में सक्षम है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'हम बयान में भारत के बारे में आक्षेप को खारिज करते हैं . श्रीलंका एक सम्प्रभु देश है और वह स्वतंत्र रूप से अपने फैसले करता है.'

अरिंदम बागची ने कहा कि जहां तक भारत-श्रीलंका संबंधों का सवाल है, आपको मालूम है कि हमारी पड़ोस प्रथम नीति के केंद्र में श्रीलंका है . चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने पत्रकार वार्ता में कहा था कि बीजिंग ने इस मुद्दे पर आई खबरों का संज्ञान लिया है. 

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सुरक्षा चिंताओं को लेकर भारत ने नहीं बनाया दबाव

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'चीन और श्रीलंका के बीच सहयोग दोनों देशों के बीच स्वतंत्र रूप से है और उनके साझा हित मेल खाते हैं तथा यह किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाते हैं.' भारत ने कहा था कि सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर श्रीलंका पर दबाव डालना अर्थहीन है.

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चीन के बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह निगरानी पोत ‘युआन वांग 5’ को बृहस्पतिवार को हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचना था और ईंधन भरने के लिए 17 अगस्त तक वहीं रुकना था. श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण (SLPA) के बंदरगाह प्रमुख ने बताया कि चीनी पोत अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हंबनटोटा बंदरगाह पर नहीं पहुंचा. 

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स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक पोत हंबनटोटा से 600 समुद्री मील दूर पूर्व में खड़ा है और बंदरगाह में प्रवेश की अनुमति मिलने का इंतजार कर रहा है. इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि भारत ने श्रीलंका के गंभीर आर्थिक संकट को देखते हुए इस वर्ष 3.8 अरब डालर की अभूतपूर्व सहायता प्रदान की है . भारत, श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक स्थिति पटरी पर लाने के उसके प्रयासों का पूरी तरह से समर्थन करता है. 

अरिंदम बागची ने कहा कि जहां तक भारत-चीन का प्रश्न है, हमने सतत रूप से इस बात पर जोर दिया है कि हमारे संबंध एक दूसरे के प्रति सम्मान, संवेदनशीलता और हितों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ सकते हैं . उन्होंने कहा कि सुरक्षा चिंताओं का विषय प्रत्येक देश का सम्प्रभु अधिकार है, हम अपने हितों के बारे में सबसे अच्छे ढंग से निर्णय कर सकते हैं . 

श्रीलंका ने पहले दी थी जहाज को रोकने की मंजूरी

अरिंदम बागची ने कहा कि यह स्वाभाविक रूप से हमारे क्षेत्र और खास तौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखकर होता है. 12 जुलाई को श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीनी पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर खड़ा करने की मंजूरी दे दी थी. 

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8 अगस्त को मंत्रालय ने कोलंबो स्थित चीनी दूतावास को पत्र लिखकर जहाज की प्रस्तावित डॉकिंग को स्थगित करने का अनुरोध किया था. उसने इस आग्रह के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं की. उस समय तक 'युआन वांग 5' हिंद महासागर में दाखिल हो चुका था. 

भारत का शिप डॉकिंग पर क्या था रुख?

भारत ने सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर पोत के हंबनटोटा में रुकने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसके बाद श्रीलंका ने प्रस्तावित डॉकिंग को टालने का आग्रह किया. समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक हंबनटोटा बंदरगाह को उसकी स्थिति के चलते रणनीतिक लिहाज से बेहद अहम माना जाता है. इस बंदरगाह का निर्माण मुख्यत चीन से मिले ऋण की मदद से किया गया है.

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China Ship Concerns Over Yet To Dock At Lanka Hambantota Port India Reaction
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श्रीलंका ने नहीं दी चीनी जासूसी जहाज को एंट्री, भारत ने दिया शानदार जवाब
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भारत के लिए चिंता का सबब है चीन का जासूसी जहाज.
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भारत के लिए चिंता का सबब है चीन का जासूसी जहाज.

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श्रीलंका ने नहीं दी चीनी जासूसी जहाज को एंट्री, भारत ने दिया शानदार जवाब