हर साल 2 अप्रैल को दुनियाभर में लोगों को ऑटिज्म के प्रति जागरूक करने के लिए 'विश्व जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day 2024)' मनाया जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऑटिज्म (Autism) एक तरह की न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorders) है, जो बच्चों के दिमाग में बदलाव के कारण होता है. चिंता की बात यह है कि इस बीमारी के बारे में लोगों में जानकारी की कमी है, जिसके चलते पीड़ित लोगों का जीवन और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है. आइए जानते हैं क्या है ऑटिज्म (Autism Symptoms) और इसके लक्षण, कारण और इलाज क्या है, ताकि समय रहते आप इस बीमारी की पहचान कर इसका इलाज कर सकें...
पहले जान लें ऑटिज्म है क्या?
यह एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है और ऑटिज्म मुख्य रूप से 3 प्रकार का होता है. इसमें अस्पेर्गेर सिंड्रोम, परवेसिव डेवलपमेंट और क्लॉसिक ऑट शामिल हैं. आसान भाषा में समझें तो इस बीमारी से जुड़े व्यक्ति का दिमागी विकास अन्य की तुलना में कम होता है और इस स्थिति में मरीज का व्यवहार, सोचने-समझने की क्षमता दूसरों से अलग होती है. बता दें कि इस बीमारी के लक्षण कम उम्र में ही देखने को मिल जाते हैं, ऐसे में इन्हें भूलकर भी अनदेखा नहीं करना चाहिए.
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क्या हैं ऑटिज्म के लक्षण
मायो क्लिनिक में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार छोटे बच्चों में इस बीमारी के लक्षण जन्म के 12 से 18 सप्ताह के बाद से ही नजर आने लगते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कुछ मामलों में ऑटिज्म ठीक हो जाता है, लेकिन कई मामलों में यह बीमारी पूरे जीवनकाल तक रह सकती है.
- जन्म के बाद बच्चों का देरी से बोलना
- एक ही शब्द को बार-बार बोलना
- बच्चे का ज्यादा समय अकेले बिताना
- आंखें मिलाकर बात न करना
- एक ही चीज को बार-बार रीपीट करना
- किसी एक काम या फिर सामान के साथ पूरी तरह बिजी हो जाना
- किसी व्यक्ति की भावना को न समझना
- सवालों का जवाब देने में कठिनाई फील करना
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ऑटिज्म के कारण क्या हैं
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह बीमारी बच्चों में अनुवांशिक कारणों से हो सकती है और कई बार लेट प्रेग्नेंसी के मामलों में भी बच्चे को ऑटिज्म जैसी बीमारी होने का खतरा होता है. इसके अलावा जो बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं उनमें भी इस बीमारी के होने का खतरा रहता है, साथ ही जिन बच्चों का जन्म कम बर्थ वेट के साथ होता है उनमें भी ये समस्या आ सकती है.
ऑटिज्म का इलाज क्या है
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसका कोई क्लीनिकल ट्रीटमेंट नहीं है, लेकिन इस बीमारी को एंटीसाइकोटिक या एंटी-एंग्जायटी दवाएं, थेरेपी के जरिए ठीक किया जा सकता है, साथ ही इस बीमारी में एजुकेशनल प्रोग्राम और बिहेवियरल थैरेपी की मदद ली जाती है और ऑटिज्म के हर मामले में एक अलग तरह की थेरेपी की जरूरत होती है. ऐसे में अगर आपके परिवार या आस-पड़ोस में किसी को यह बीमारी है तो ऐसी स्थिति में बिना किसी डॉक्टरी सलाह के दवाओं का सेवन न करें.
Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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क्या होता है Autism? बच्चे के जन्म के 12 से 18 सप्ताह बाद दिखें ये लक्षण तो न करें अनदेखा