डीएनए हिंदी: हमारे पेट में अरबों-ख़रबों की तादाद में ये सूक्ष्म जीव होते हैं. इनका सेहत से गहरा संबंध होता है. शायद ही आप जानते होंगे कि कुछ बीमारियों की वजह आपके पेट या आंत में मौजूद बैक्टीरिया होते हैं. मोटापे से लेकर डायबिटीज तक के लिए ये बैक्टीरिया कारण बनते हैं. टाइप टू डायबिटीज या मोटापे की वजह केवल जेनेटिक या जीन ही नहीं होता है, बल्कि कई बार ये आंत में मौजूद बैक्टीरिया के कारण भी होता है.
यही कारण है कि जैसे खानपान के बावजूद कुछ लोग डायबिटीज या मोटापे के शिकार नहीं होते, बल्कि वहीं खाना दूसरे लोगों के लिए बीमारी की वजह बनता है. वहीं कुछ लोग आसानी से मोटापा या डायबिटीज को कंट्रोल में रख लेते हैं. इसकी वजह अक्सर हमारे शरीर के भीतर मौजूद कीटाणु यानी बैक्टीरियाही होते हैं. जो बैक्टीरिया हमारा खाना पचाने में सहायक होते हैं, वो असल में हमें फ़ायदे के साथ-साथ कई बार नुक़सान भी पहुंचा रहे होते हैं.
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जानिए क्यों खाना पचाने वाले ही बैक्टीरिया नुकसान पहुंचाते हैं
हम जो भी खाते हैं पेट में जाने के बाद वह कई टुकड़ों में टूटता है और इसे तोड़ने के काम ये कीटाणु करते हैं. क्योंकि इनके पास उन्हें तोड़ने वाले एंजाइम होते हैं. कई बार जिस चीज को हमारी आंतें नहीं सोख पाती हैं उन्हें भील ये बैक्टीरिया पचा लेते हैं और उसे कैलोरी में कंवर्ट कर देते हैं. इसक परिणाम ये होता है कि अगर कोई डाइटिंग पर है और कम खा रहा है लेकिन बावजूद उसे ज्यादा कैलोरी मिल रही होती है.
ब्रिटेन की मेयो क्लिनिक की एसोसिएट प्रोफ़ेसर पूर्णा कश्यप की रिपोर्ट बताती है कि खाने के साथ हमारे भीतर बैक्टीरिया के चले जाते हैं और वह खाने के उस हिस्से को भी पचा लेते हैं, जिन्हें पचाने के लिए हमारे पास एंजाइम नहीं होते हैं. बैक्टीरिया जब हमारे शरीर में न पचने वाले इस खाने को खाते हैं तो इससे शरीर को बहुत ज़्यादा कैलोरी मिलने लगती है इससे मोटापा ही नहीं, डायबिटीज का भी खतरा बढ़ता है.
मोटापा बढ़ाने वाले बैक्टीरिया से होता है डायबिटीज का भी खतरा
ब्रिटिश रिसर्चर लुईस ब्रंकवाल ने अपने रिसर्च में पाया कि मोटे लोगों के पेट में चार तरह के ऐसे बैक्टीरिया मिले थे जो मोटापा बढ़ाने वाले एंजाइम से लैस थे. इन बैक्टीरिया की वजह से टाइप-2 डायबिटीज़ पैदा करने वाले केमिकल भी निकलते थे. ऐसे बैक्टीरिया अक्सर मांस खाने वाले लोगों के पेट में ही देखे गए.
मांस-मछली खाने वालों को खतरा ज्यादा
ब्रंकवाल की रिसर्च रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि जो लोग ज्यादा प्रोटीन वाला खाना यानी मांस-मछली खाने वालों को कई तरह की बीमारियां होने का ख़तरा बढ़ जाता है. वो ये भी कहते हैं कि अब इस बात पर रिसर्च की ज़रूरत है कि इंसान की आंतों के बैक्टीरिया में कैसे बदलाव लाया जा सकता है. ताकि, मोटापे और दूसरी बीमारियों के ख़तरे को कम किया जा सके.
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डेनमार्क के मेटाबोलिज़्म एक्सपर्ट ओलुफ पेडरसन की रिपोर्ट के मुताबिक मोटे लोगों के पेटों के भीतर जो कीटाणु थे उनमें विविधता की कमी थी. इन लोगों में डायबिटीज़, दिल की बीमारी और आंतों में जलन की शिकायत ज़्यादा देखी गई. वहीं कई बार ज़्यादा एंटीबायोटिक लेने से हमारे पेट में पलने वाले कई कीटाणु मर जाते हैं. इससे भी नुकसान होता है. इसलिए अगर ज़्यादा रेशेदार खाना, यानी फल और सब्ज़ियां खाई जाएं तो इससे अच्छे कीटाणुओं पेट में रहेंगे और आंतों में होने वाली जलन जैसी शिकायतें रोक सकते हैं. नॉटिंघम यूनिवर्सिटी की एना वाल्डेस कहती हैं कि, 'अगर टाइप-2 डायबिटीज़ के मरीज़ रेशेदार खाना ज़्यादा खाएं तो डायबिटीज़ में कमी आती है.
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Poor Food : बैक्टिरिया से इंफेक्शन ही नहीं, डायबिटीज का भी खतरा, जानिए क्या कहती है ये फूड रिसर्च