नेटफ्लिक्स (Netflix) पर हाल ही में पॉपुलर रैपर हनी सिंह (Honey Singh) की डॉक्यूमेंट्री रिलीज हुई है. 1 घंटे 20 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री का टाइटल है 'यो यो हनी सिंह फेमस' (Yo Yo Honey Singh: Famous), जिसमें हनी सिंह नशे की लत और मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के साथ अपने संघर्ष पर बात करते हुए नजर आए. हनी सिंह के गाने बच्चे-बच्चे की जुबान पर रटे हुए हैं, हनी सिंह ने अपने धांसू गानों से खूब धूम (Honey Singh Song) मचाया..
लेकिन, एक समय ऐसा आया जब हनी सिंह पूरी तरह से एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री (Entertainment Industry) से गायब हो गए. इसके पीछे की वजह क्या थी? हनी सिंह ने इसपर अपने डॉक्यूमेंट्री में खुलकर (Honey Singh Documentary) बात की है....
Bipolar Disorder से जूझ रहे थे Honey Singh
हनी सिंह ने बताया कि वह बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे थे, जिसमें साइकोसिस के लक्षण (Psychotic Symptoms) भी थे. हनी सिंह ने बताया कि उस दौरान दिमाग बहुत ज्यादा चलता था, कंट्रोल से बाहर हो जाता था, उन्होंने कहा ऐसी स्थिति थी जहां आप कुछ भी सोच रहे हो, जिसका किसी चीज से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने आगे कहा की 'मैंने नर्क देखा है, मैंने मौत देखी है, मैं मौत की कामना करता था'.
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क्या है Bipolar Disorder? आसान शब्दों में समझें
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसे 'मैनिक-डिप्रेसिव इलनेस' भी कहा जाता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति के मूड, ऊर्जा, और व्यवहार में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. यह स्थिति डिप्रेसिव यानी अवसाद और मैनिक यानी उत्तेजना के बीच बदलती रहती है.
जानिए बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार
1- बाइपोलर डिसऑर्डर जो मैनिक लक्षण के साथ नजर आते हैं.
2- बाइपोलर डिसऑर्डर जो हल्के मैनिक यानी हाइपोमेनिया और डिप्रेसिव लक्षण के साथ दिखते हैं
3- साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर यानी हल्के मैनिक और डिप्रेसिव लक्षण जो लंबे समय तक रहते हैं.
लक्षण क्या हैं?
मैनिक एपिसोड (उत्तेजना) में
ऐसी स्थिति में व्यक्ति अत्यधिक खुश या चिड़चिड़ा मूड महसूस करता है. इसके अलावा इसके लक्षणों में जरूरत से ज्यादा बोलना, कम नींद में भी ऊर्जा से भरे रहना, जोखिम भरा व्यवहार, जैसे कि अचानक खर्चा करना या खतरनाक निर्णय लेना, बहुत अधिक आत्मविश्वासी या खुद को शक्तिशाली समझना आदि शामिल है.
डिप्रेसिव एपिसोड (अवसाद) में
वहीं डिप्रेसिव एपिसोड में व्यक्ति लगातार उदासी या खालीपन का अनुभव करता है. इसके अलावा इसके लक्षणों में थकान और ऊर्जा की कमी, ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में कठिनाई, मन में आत्महत्या के विचार आना और जीवन में रुचि खो देना आदि शामिल हैं.
नोट- इसके अलावा एक स्थिति और बनती है, जिसमें मैनिक और डिप्रेसिव लक्षण एक साथ नजर आते हैं. इस स्थिति को मिश्रित एपिसोड कहा जाता है..
अब समझें साइकोसिस क्या है?
हनी सिंह ने बताया कि बाइपोलर डिसऑर्डर के साथ उन्हें Psychotic Symptoms भी महसूस हो रहे थे. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अधिक समय तक बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहा हो तो उसे साइकोसिस की समस्या हो सकती है, जिसे बाइपोलर डिसऑर्डर का उन्नत भी कह सकते हैं. ऐसी स्थिति में मरीज को अवास्तविक चीजें वास्तविक लगने लगती हैं, मरीज को लगने लगता है कि कोई उनके खिलाफ साजिश कर रहा है, या उनके सभी कामों पर पानी फेरना चाहता है.
ऐसी स्थिति में मरीज को कोई कितना भी यकीन दिलाने की कोशिश करे की ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन फिर भी पेशेंट को अपनी कल्पनाओं पर दृढ़ विश्वास हो जाता है.
नशे से बढ़ता है बाइपोलर डिसऑर्डर का खतरा?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक भांग, एल्कोहल, चरस और गांजा आदि का नशा करने से बाइपोलर डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ सकता है. ऐसे में समय रहते इसपर खास ध्यान देने की जरूरत है. बता दें कि डॉक्टर इस बात को सिरे से खारिज करते हैं कि शराब आदि के सेवन करने वाले लोगों को इसका ज्यादा खतरा नहीं रहता है.
कब डॉक्टर से करें संपर्क?
बता दें कि यह स्थिति मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है. इसलिए जब मूड का उतार-चढ़ाव रोजमर्रा की जिंदगी में बाधा बनने लगे, मन में आत्महत्या के विचार आने लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, इससे समय रहते इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है.
क्या है इलाज?
बता दें कि बाइपोलर डिसऑर्डर का कोई सटीक इलाज नहीं है, हालांकि इसके लक्षणों को कम करने के लिए थेरेपी, दवाएं (लिथियम, एंटी-डिप्रेसेंट्स),के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह दी जाती है. बता दें कि इसमें व्यक्ति की स्थिति को ध्यान में रखकर थेरेपी की जाती है. साथ ही पर्याप्त नींद, स्ट्रेस से डील करने के तरीकों के बारे में सीखकर इससे बचाव किया जा सकता है.
बताते चलें कि अगर परिवार में बाइपोलर डिसऑर्डर या किसी अन्य मानसिक स्थिति की हिस्ट्री रही है, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करना चाहिए, इसके अलावा जो लोग छोटी-छोटी बात पर अपनी भावनाओं को खो देते हैं, उन्हें डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स से संपर्क करें.)
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