डीएनए हिंदीः हार्ट अटैक हो या स्ट्रोक कभी भी आ सकता है लेकिन इसके आने की संभावना सुबह में ज्यादा होती है. यही नहीं सुबह के बाद कब तक का समय रिस्की होता है यह जानना भी जरूरी है अगर आप हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और हार्ट के मरीज हैं तो. 

AHA Journals के अनुसार  सभी तीव्र इस्केमिक स्ट्रोक (एआईएस) के 40-50% मामले सुबह के समय होते हैं. वेक-अप स्ट्रोक (डब्ल्यूयूएस) के रोगी वे होते हैं जो अपने स्वास्थ्य की सामान्य स्थिति में बिस्तर पर जाते हैं लेकिन जागने पर सबसे पहले स्ट्रोक के लक्षण उनमें दिखते हैं. स्ट्रोक का यह मेटा-विश्लेषण इस बात का पुख्ता सबूत देता है कि स्ट्रोक सुबह के समय (सुबह 6 बजे से दोपहर तक) अधिक आता है और रात की अवधि (आधी रात से सुबह 6 बजे) के दौरान सबसे कम जोखिम होता है.  हार्ट जर्नल भी बताता है कि सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर के समय तक आने वाले हार्ट अटैक व्यक्ति को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.

क्यों आता है सुबह के समय हार्ट अटैक या स्ट्रोक

सरकेडियन सिस्टम (इसे बॉडी क्लॉक भी कहा जाता है) सुबह के समय ज्यादा मात्रा में PAI-1 कोशिकाओं को रिलीज करता है जो ब्लड क्लॉट को टूटने से रोकता है. ब्लड में PAI-1 कोशिकाओं की संख्या जितनी ज्यादा होती है, खून में ब्लड क्लॉट बनने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है जिससे हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट हो सकता है.

सर्कैडियन रिदम यानी बॉडी क्लॉक ही सुबह के समय हार्ट अटैक या स्ट्रोक की वजह होती है. डॉक्टर कहते हैं कि भले ही कोई व्यक्ति एक ही तरह के वातावरण में रह रहा हो और एक ही तरह की दिनचर्या का पालन कर रहा हो. तब भी ऐसे पैरामीटर हैं जो 24 घंटे के बीच घूम सकते हैं. आपको बता दें कि सर्कैडियन रिदम शरीर की ही आंतरिक घड़ी का एक उत्पाद है जो मस्तिष्क की केंद्रीय घड़ी और शरीर की सभी कोशिकाओं द्वारा नियंत्रित होती है.

सर्कैडियन सिस्टम बहुत से साइकोलॉजिकल पैरामीटर को रैगुलेट कर सकती है. यह व्यक्ति को इस दौरान अधिक संवेदनशील बना सकती है, जिसका हम पर अधिक बुरा प्रभाव पड़ सकता है. उदाहरण के तौर पर हृदय सुबह के समय में रक्त के थक्कों को खत्म करने की क्षमता नहीं रखती. जिसकी वजह से ही सुबह अधिक हार्ट अटैक आते हैं.

ये हार्मोन भी बनता है बड़ा कारण

Hospital & Institute of Integrated Medical Sciences की डॉ. नेहा बताती हैं कि सुबह 6 बजे कार्टिसोल हार्मोन यानी स्ट्रेस रिलीज करने वाला ये हार्मोन सक्रिय होता है और इस समय अगर मरीज उठे और तनाव या गुस्से में आ जाए तो भी स्ट्रोक या हार्ट अटैक के खतरे बढ़ जाते हैं. इसलिए सुबह के समया ढेर सारा पानी पीना चाहिए ताकि ब्लड पतला हो और क्लॉटिंग के खतरे कम हों. हार्ट या हाई ब्लड प्रेशर वालों को सुबह के समय शांत रहकर मेडिटेशन जरूर करना चाहिए. तनाव उनके लिए जानलेवा हो सकता है या पैरालिसिस अटैक का कारण बन सकता है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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सुबह इस वक्त हार्ट-अटैक स्ट्रोक का रहता है सबसे ज्यादा खतरा
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सुबह इस वक्त हार्ट-अटैक स्ट्रोक का रहता है सबसे ज्यादा खतरा, जरा सी चूक बना देगी लकवे का मरीज