डीएनए हिंदीः हाई कोलेस्ट्ऱॉल से स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है लेकिन थोड़ी सी सावधानी से इसे आसानी से खत्म किया जा सकता है. यहां आपको एक शोध के बारे में बताएंगे जो यह बताता है की एक खास तरह की चाय या काढ़ा नसों की दीवारों पर चिपकी वसा की परत को बेहद आसानी से ढीला करके शरीर से बाहर कर सकता है.
बायोमेडिसिन और फार्माकोथेरेपी जर्नल में प्रकाशित शोधकर्ताओं ने चाय के पौधे में एक खास यौगिक पाया है जो कोलेस्ट्रॉल की दवा 'सिस्टैटिन' जैसा काम करता है. चाय के पौधे के यौगिक को "एंटी-थ्रोम्बोटिक गतिविधि" को बढ़ावा देने के लिए पाया गया है. जो बिलकुल वैसे ही काम करता है जैसे सिस्टैटिन दवा करती है. सिस्टैटिन रक्त वाहिकाओं को आराम देकर और प्लेटलेट्स को आपस में चिपकने से रोककर रक्त को पतला करने में मदद करता है.
चाय कम करती है क्लॉटिंग का खतरा
इस शोध से जुड़े डॉ. गिल जेनकिन्स का कहना है की चाय हृदय के स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है और जिसमें रक्तचाप के कम करने के साथ ही कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए भरपूर एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. चाय में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स जैसे फ्लेवोनोइड्स ही दवा की तरह शरीर में काम करते हैं. चाय में प्राकृतिक यौगिक के साथ क्लॉटिंग को कम करके दिल और मस्तिष्क की रक्षा करने में मदद मिलती है.
नियमित रूप से चाय पीने वालों में हृदय रोग विकसित होने या स्ट्रोक से पीड़ित होने की संभावना कम होती है. प्रतिदिन तीन कप काली या ग्रीन टी या चाय की हरी पत्तियों, तने या जड़ का काढ़ा पीना तेजी से नसों में जमी वसा को पिघलाने का काम करता है.
शोध से जुड़े डॉ. टिम बॉण्ड, डॉ. गिल जेनकिन्स और डॉ. एम्मा डर्बीशायर बताते हैं कि चाय पीने से संवहनी और एंडोथेलियल फ़ंक्शन में सुधार होता है, जो रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, चाय पीने को बेहतर ध्यान और साइकोमोटर गति से जोड़ा गया है. और चाय पीने से L-theanine के आराम मिलता है और मस्तिष्क में बेहतर परिसंचरण के कारण अवसाद का खतरा कम हो सकता है.
डॉ रूक्सटन के अनुसार वस्कुलर हेल्थ, बीपी नियंत्रण करने और शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले ऑक्सीकरण और सूजन से लड़ने के लिए चाय के लाभ बहुत हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप काली (नियमित) या हरी चाय पसंद करते हैं क्योंकि दोनों एक ही पौधे से आते हैं और उच्च स्तर के पॉलीफेनोल्स प्रदान करते हैं. पॉलीफेनोल कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से बचाता है.
रक्त के थक्के बनने के लक्षण
- सीने में तेज धड़कन
- शरीर में खासकर पैर में सूजन, लालिमा
- पैर या बांह में गर्माहट
- अचानक सांस फूलना
- सीने में तेज दर्द (जब आप सांस लेते हैं तो और भी बुरा हो सकता है)
- खांसी या खांसी में खून आना.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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ब्लड में बनने वाले थक्के और वसा को गला देगा इस पत्ते से बना काढ़ा, कोलेस्ट्रॉल के पिघलने से घटेगा स्ट्रोक का खतरा