फ्रांस के डॉ. फिलिप पिनेल को सम्मानित करने के लिए 24 मई को विश्व सिज़ोफ्रेनिया दिवस घोषित किया गया था. उन्होंने मानसिक समस्याओं की तरफ लोगों का ना सिर्फ ध्यान खींचा बल्कि उपचार के रास्ते भी दिखाए. यह खास दिन सिजोफ्रेनिया के बारे में जागरुकता लाने से ही जुड़ा है. वर्ल्ड बैंक (World Bank) की रिपोर्ट मानसिक रोगों के लिए जरूरी जागरुकता के मामले में काफी अहम है. सन् 1993 में आई इस रिपोर्ट के अनुसार बीमारी के कारण जिंदगी से गायब हो गए समय या वर्षों को गिना जाए तो मानसिक रोगों से होने वाला नुकसान डायरिया, मलेरिया और तपेदिक जैसी बीमारियो की तुलना में काफी ज्यादा है. सिजोफ्रेनिया का शिकार होने वाले व्यक्ति को भ्रम होता रहता है और उसे डरावने साये दिखते रहते हैं.
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अब तक के शोध और अनुसंधान से सिज़ोफ्रेनिया के किसी एक कारण की पहचान नहीं हो पाई है. ऐसा माना जाता है कि जीन और कुछ व्याक्ति के आसपास का वातवारण उसे इस रोग की तरफ ले जाता है. मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारक भी इसकी वजह हो सकते हैं. इसका मतलब यह भी है कि इसे रोकना या जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान करना आसान नहीं है, जिसकी वजह से बीमारी को पहचानना और उसका निवारण करना दोनों प्रभावित होता है.
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दरअसल किसी व्यक्ति को अक्सर यह एहसास नहीं होता है कि वे सिज़ोफ्रेनिया का शिकार है. इसी वजह से समय पर उपचार भी नहीं हो पाता. इस रोग को जांचने के लिए कोई खास टेस्ट भी नहीं है. इसका जल्द इलाज शुरू हो जाए तो इस बीमारी का प्रबंधन किया जा सकता है.
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सिज़ोफ्रेनिया कई अन्य मानसिक विकारों की तरह आम नहीं है. ये दुनिया भर में 300 लोगों में से 1 (0.32%) को प्रभावित करती है. व्यस्कों के सिजोफ्रेनिया का शिकार होने की आशंका ज्यादा होती है. व्यस्कों में 222 लोगों में से 1 व्याक्ति इसका शिकार हो सकता है.
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भारत में साल 2015-16 में देश के मानसिक स्वास्थय को जांचने के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NMHS) किया गया. सर्वे में देश भर में 34,000 से अधिक लोगों को जांचने पर पाया गया कि देश की 1.9% आबादी अपने जीवन में कभी न कभी मानसिक रोग से पीड़ित रही है. वहीं सिजोफ्रेनिया के मामले में हर 1000 में से तीन भारतीय इसका शिकार होता है. सर्वे में ये भी पाया गया कि पुरुषों में ये बीमारी ज्यादा जल्दी सामने आ सकती है.
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डब्ल्यूएचओ की मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना 2013-2030 में सिज़ोफ्रेनिया के साथ बाकी मानसिक रोगियों के लिए आवश्यक कदमों को सूचीबद्ध किया गया है. एक्शन प्लान में कहा गया है कि रोगियों के उपचार के लिए संस्थानों की बजाय समुदाय की ओर बढ़ना होगा.
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इस साल बजट भाषण में वित मंत्री सीतारमण ने मानसिक स्वास्थय की जरूरत पर बल देते हुए देश में 23 टेली-मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क बनाने की घोषणा की थी. इस नेटवर्क का नोडल NIMHANS होगा और इसके लिए तकनीकी सहायता अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान-बैंगलोर (IITB) प्रदान करेगा.