मैं कोई अध्यात्मिक गुरु नहीं हूं. मैं एक सिंपल पर्सन हूं. मुझे भी लाइफ में कई बातों का अफसोस है, मसलन, मैं स्वीमिंग नहीं जानती. ये बातें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन के सुबह के सेशन में इन्फोसिस फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति ने कहीं. वे फेस्टिवल के 'कॉमन येट अन कॉमन' सत्र में अपनी किताब पर बातचीत के लिए मौजूद थीं.
सेशन में सुधा मूर्ति ने अपनी लाइफ के बारे में कई बातें साझा कीं. उन्होंने कहा कि मुझे लोगों के बारे में जानना अच्छा लगता है. मैं जिन लोगों से मिली, उनसे काफी कुछ सीखा. मेरा मानना है कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक व्यक्ति नहीं होता, बल्कि पूरी किताब होता है.
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लिखने की वजह
उन्होंने कहा कि मैं खुश या उदास होने पर नहीं लिखती, मैं कहानियां बताना चाहती हूं इसलिए लिखती हूं. मुझे यह जानने की दिलचस्पी रहती है कि लोग आपस में क्यों झगड़ रहे हैं. कहीं ऐसा कुछ होता है तो मैं रुक जाती हूं. यही अनुभव मेरी किताब में हैं और वे सत्य हैं. सिवाय आखिरी हिस्से के जिसमें नारायण मूर्ति से मुलाकात का किस्सा है.
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दर्शकों की दीवानगी
बता दें कि सुधा मूर्ति से चल रही बातचीत के दौरान श्रोताओं और दर्शकों की दीवानगी ऐसी थी कि बारिश होती रही पर लोग हटे नहीं. भीड़ सुधा मूर्ति को सुनती रही. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इससे पहले गीत और संवाद लेखक गुलजार, क्रिकेटर अजय जडेजा, शशि थरूर, सचिन पायलट, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी शामिल हुए. उन्होंने बातचीत के अलग-अलग सेशन में हिस्सा लिया.
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जानें सुधा मूर्ति को है लाइफ में क्या-क्या न कर पाने का अफसोस