देश की गुलाबी नगरी जयपुर में 5 दिनों तक चला साहित्य का महाकुंभ खत्म हो गया. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 1 से 5 फरवरी तक चले 17वें संस्करण में 5 दिनों तक पुस्तक प्रेमियों में अजब सा उत्साह सा उत्साह छाया रहा. इस फेस्टिवल में गीतकार गुलजार, आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन, पत्रकार सह लेखक मृदुला गर्ग, लेखक अमीश, क्रिकेटर अजय जडेजा सहित कई नामचीन लोग जुटे. रविवार को इस फेस्टिवल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर भी पहुंचे थे.
लेखिका और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की फाउंडर और को-डायरेक्टर नमिता गोखले ने कहा, “हर साल मैं फेस्टिवल के लिए एक उपमा चुनती हूं और इस बार मैं फिर से कथासरित्सागर पर लौटती हूं... ये फेस्टिवल हमारी बदलती दुनिया को समझने का प्रयास है. हम विचार और संवाद का इंद्रधनुष पेश करेंगे.”
गुलजार ने अपने नए संग्रह पर की बात
'बाल ओ पर' सत्र में गीतकार गुलजार ने अपने नए काव्य-संग्रह के बारे में कहा कि यह उनकी अप्रकाशित रचनाओं का संकलन है. गुलजार के मुताबिक, अभी भी उनकी इतनी रचनाएं अप्रकाशित हैं कि उनसे इतनी ही बड़ी एक और किताब बन सकती है. इस सत्र में अनुवाद की कला, उसकी चुनौतियों और लेखक व अनुवादक के रिश्ते पर भी बात हुई. रख्शंदा जलील ने बताया कि इस किताब का अनुवाद तीन साल पहले शुरू हुआ था, वे लगभग हर दिन मिला करते और हर शब्द, लाइन और कौमा तक पर चर्चा करते. इस दौरान गुलजार ने कहा कि मानता हूं अनुवाद में कि परफ्यूम की मात्रा थोड़ी कम जरूर हो जाती है, लेकिन खूशबू कम नहीं होती.
इसे भी पढ़ें : DNA Lit में पढ़ें अमेरिकी कथाकार ओ. हेनरी की लाजवाब कहानी 'कैदी'
नौकरियों की बात की रघुराम राजन ने
'ब्रेकिंग द मोल्ड' सत्र में में पहुंचे आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश में दो भारत है और दोनों के बीच खाई बढ़ती जा रही है. इनकी दूरी कम करने के लिए काम करना है. उन्होंने कहा कि इसे कम करने के लिए देश के हर घर में एक अच्छी नौकरी होनी चाहिए. इसके लिए सरकार को काम करने चाहिए.
बहुरंगी भारत ने लुभाया
2023 के बुकर प्राइज से सम्मानित लेखक पॉल लिंच ने बताया कि वह भारत आने पर काफी रोमांचित हैं. भारत की बहुरंगी खूबसूरती उन्हें खूब भा रही है. उन्होंने कहा कि इसके सामने आयरलैंड में उनका होमटाउन लिमेरिक तो एक रंग का ही है. पर्यावरण को समर्पित एक सत्र, 'लेसन इन केमिस्ट्री' सत्र की शुरू में अमेरिकी लेखक और कॉपीराइटर बोनी गार्मुस बताती हैं कि उन्हें अपनी किताब लिखने की प्रेरणा मेल-डोमिनेटेड वर्कप्लेस में एक बुरे दिन से मिली.
इसे भी पढ़ें : उस साहित्यकार की कथा जिसने दो-दो बार किया पद्मश्री सम्मान लेने से इनकार
द ग्रेट एक्सपेरिमेंट
'द ग्रेट एक्सपेरिमेंट' सत्र में वक्ताओं ने भारत में लोकतांत्रिकता पर बात की. इसमें भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और लेखक एस.वाई. कुरैशी ने कहा, 'जब हमने लोकतंत्र को चुना था, तो यह वास्तव में एक प्रयोग ही था. सबको लगा था कि यह गलत कदम साबित होगा, क्योंकि हमारी 70% से अधिक आबादी निरक्षर थी. ये सच में एक एक्सपेरिमेंट ही था.' सत्र में जोर दिया गया एक वोट या एक पल देश में राजनैतिक पॉवर को सुनिश्चित नहीं कर सकता, लेकिन लोकतंत्र लोगों को अपना मन बदलने का अवसर देता है.
कला, साहित्य, संस्कृति और व्यापार
बता दें कि इन पांच दिनों के उत्सव में सिर्फ पुस्तके ही चर्चा में नहीं रहीं, बल्कि कला, संस्कृति और व्यापार की धारा भी बहती रही. यानी पांच दिनों के उत्सव में ज्ञान से लेकर मनोरंजन तक को भरपूर जगह मिली. लेखकों से बातचीत, कलाकारों से संवाद और व्यापार के केंद्र के रूप में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने सबका मन मोहा.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
Jaipur Literature Festival 2024: गुलाबी नगरी में चलता रहा 5 दिनों तक साहित्य का महाकुंभ