डीएनए हिंदी : शिमला के गेयटी थिएटर सभागार में लेखक एसआर हरनोट के कहानी संग्रह और उन पर लिखी गई तीन आलोचना पुस्तकों का लोकार्पण 5 नवंबर 2023 को किया गया. इस मौके पर लेखक-पत्रकार गीताश्री बतौर अध्यक्ष मौजूद थीं, जबकि विशेष अतिथि के रूप में उपन्यासकार-कवि अणु शक्ति सिंह के साथ संगीतकार-आलोचक सुनैनी शर्मा भी उपस्थित रहीं.
अध्यक्षीय वक्तव्य में गीताश्री ने कहा कि किसी लेखक से जुड़ी 4 किताबें एक साथ लोकार्पित हों, यह एक बड़ी उपलब्धि है. हमारे समय के सजग, समर्थ कथाकार एसआर हरनोट का रचना संसार विपुल है. वे साहित्य-संपदा से संपन्न ऐसे लेखक हैं जिनकी चिंतन दृष्टि इतिहास बोध से आती है और उसके सरोकार बड़े गहरे हैं. एक अन्वेषक की दृष्टि ही रचना को सार्थक बनाती है और यह दृष्टि हरनोट में भरपूर है.
हरनोट एक साहसिक लेखक
गीताश्री ने कहा कि हरनोट एक साहसिक लेखक हैं और जब 'झूठ का दिग्विजय समय हो' तो चुनौतियां बड़ी हो जाती हैं. उन्होंने हरनोट की कहानियों के बहाने लेखकों और पत्रकारों पर हो रहे सियासी हमलों को लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बताया. उन्होंने कहा कि ईमानदार और साहसी कलमगार की जुबान हमेशा बोलेगी और कलम हमेशा लिखती रहेगी. उन्होंने हरनोट की कहानियों में इको फेमीनिजम, प्रकृति, स्त्री और दलित विमर्श से लेकर पहाड़ी समाज और संस्कृति की बात करते हुए कहा कि यह बड़ी बात है कि हरनोट लेखक के साथ एक सोशियल और लिटरेरी एक्टिविस्ट भी हैं. हरनोट की निडरता और बेबाकी कई बार अचंभित करती है.
लोकार्पित किताबों पर चर्चा
विशेष अतिथि के रूप में मौजूद अणु शक्ति सिंह ने हरनोट की कहानियों पर विस्तार से बात की. कवि-आलोचक जगदीश बाली ने 'हरनोट एक शिनाख्त पुस्तक' पर चर्चा की और उस बहाने नामवर सिंह, कमलेश्वर, दूधनाथ सिंह, विनोद शाही, सूरज पालीवाल, रोहिणी अग्रवाल, प्रशांत रमन रवि से लेकर श्रीनिवास श्रीकांत तक की अलोचकीय टिप्पणियों के उद्धरण दिए. संगीतकार और लेखिका सुनैनी शर्मा ने हरनोट के उपन्यास 'नदी रंग जैसी लड़की' पर अपना वक्तव्य दिया. डॉ. देविना अक्षयवर ने हरनोट के कहानी संग्रह 'भागा देवी का चायघर' पर बहुत सार्थक और सशक्त वक्तव्य दिया. डॉ. कर्म सिंह, पूर्व सचिव अकादमी ने हिमालय मंच और हरनोट के व्यक्तित्व पर विस्तार से चर्चा की और उनकी साहित्यिक यात्रा के कई अनूठे अनुभव साझा किए. मंच संचालन करते हुए डॉ. स्नेही ने हरनोट के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कविता रूप में वक्तव्य दिया. डॉक्टर देव कन्या ठाकुर ने हिमालय मंच और हरनोट के साहित्य के लिए दिए जा रहे योगदान पर बात करते हुए सभी उपस्थित लेखकों और श्रोताओं का धन्यवाद किया. एसआर हरनोट की कहानियों पर हाल ही में पीएचडी की उपाधि प्राप्त डॉ. अभ्युदिता गौतम ने भी कहानियों पर सार्थक वक्तव्य दिया और बताया कि उन्होंने हरनोट की कहानियां शोध के लिए क्यों चुनीं.
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चार पुस्तकों का लोकार्पण
लोकार्पित पुस्तकों में प्रलेक प्रकाशन मुंबई से प्रकाशित 'एसआर हरनोट एक शिनाख्त' आलोचना पुस्तक की परिकल्पना जितेंद्र पात्रो ने की है, जबकि संपादन प्रख्यात आलोचक डॉ. स्मृति शुक्ल ने किया है. 535 पन्नों की इस विशालकाय पुस्तक में देश के जानेमाने 40 आलोचकों के आलेख प्रकाशित हैं. दूसरी लोकार्पित पुस्तक 'सजग कथाकार हरनोट' का प्रकाशन देहरादून के प्रकाशक 'समय साक्ष्य' ने किया है. आलोचना की इस किताब का संपादन वरिष्ठ आलोचक और सेतु साहित्यिक पत्रिका के संपादक डॉ. देवेन्द्र गुप्ता ने किया है. तीसरी पुस्तक अंग्रेजी में ऑथर प्रेस दिल्ली ने छापी है, जिसे डॉ. अभ्युदिता गौतम ने लिखा है. यह उनकी पीएचडी थिसिस का सार भी है. उन्होंने अपनी पीएचडी हरनोट की अंग्रेजी में अनूदित कहानी संग्रह 'केट्स टॉक' पर किया है. इसे प्रो. मीनाक्षी एफ पॉल और डॉ. खेमराज शर्मा ने संपादित किया है और लंदन से कैम्ब्रिज स्कॉलर्ज प्रेस ने इसे प्रकाशित किया है. चौथी लोकार्पित पुस्तक हरनोट का कहानी संग्रह 'भागा देवी का चायघर' है. इस संग्रह में उनकी पहाड़ की संघर्षशील स्त्रियों पर नौ कहानियां संकलित हैं. कार्यक्रम के समापन पर गीताश्री के आग्रह पर आर्यन हरनोट द्वारा निर्देशित और निर्मित लघु फिल्म कील दिखाई गई. यह फिल्म हरनोट की कहानी कीलें पर आधारित है.
खचाखच भरा था गेयटी सभागार
इस मौके पर गेयटी सभागार में प्रो. आनंद कुमार, पत्रकार प्रशांत मोहन, श्रीनिवास जोशी, डॉक्टर ओ सी हांडा, मीनाक्षी एफ पॉल, राकेश कुमार सिंह, नेम चंद अजनबी, ओम प्रकाश शर्मा, डॉक्टर विजयलक्ष्मी नेगी, शीला हरनोट, आर्यन हरनोट, जगत प्रसाद शास्त्री, रमेश, जगदीश गौतम, रीना भारद्वाज, डॉक्टर मस्त राम शर्मा, दीप्ति सारस्वत, वंदना राणा, नीता अग्रवाल, दिनेश शर्मा, आशुतोष, दिनेश गुप्ता, मिनर्वा बुक शॉप के मालिक साहित्य अनुरागी अग्रवाल जी, बीरेंद्र शर्मा, अश्वनी शर्मा, डॉक्टर विकास सिंह,अश्वनी कुमार, जगदीश कश्यप, मनमोहन धनी, राजेंद्र कंवर, यादव चंद, मोहन जोशी, संजय भारद्वाज, जवाहर कौल, अजेय शर्मा, कल्पना गांगटा, डॉक्टर रोशन लाल जिंटा, संदीप हरनोट, डॉ राजन तनवर, रचना तनवर, हरदेव धीमान, विनोद भारद्वाज, संजय शर्मा, जगबीर सिंघा, राजेश कुमार सिंह, समता जी, सुरेश शांडिल्य जी, अश्वनी वर्मा, रोशन पाराशर, अभिषेक कश्यप, डॉक्टर कौशल्या ठाकुर, जगदीश शर्मा, सुमन धंजय, इंजीनियर वीके अग्रवाल, जगदीश गौतम सहित विश्वविद्यालय के अनेक छात्र, प्राध्यापक और बहुत से साहित्य प्रेमी मौजूद थे. इस कार्यक्रम का आयोजन हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच ने किया. उपस्थित लेखकों-बुद्धिजीवियों का धन्यवाद डॉक्टर देव कन्या ठाकुर ने किया.
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