नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2014 की थीम है 'बहुभाषी भारत : एक जीवंत परंपरा'. इसके मद्देनजर एक महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन हॉल नंबर 2 के 'लेखक मंच' पर किया गया. इस संगोष्ठी का विषय था - Fisrt nastions (adivasi) litrature, represent the future trajectory of Indian literary expression.
कार्यक्रम की शुरुआत पुरखा स्मरण से की गई. इसका पाठ किया संताली भाषा की वरिष्ठ लेखिका यशोदा मुर्मू ने किया. इस मौके पर 'भेड़िए और पटकाई की औरतें', 'हाथी मामू और सुंदरा टोली', 'हथियागोंदा', 'प्यारा केरकेट्टा: जीवनी कृतित्व', 'असुर आदिवासी और सोसोबोंगा' पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ.
संगोष्ठी में शामिल वक्ताओं ने कहा कि फर्स्ट नेशंस के साहित्य का उद्देश्य दुनिया में प्रेम की उपस्थिति, सहजीवी चेतना का फैलाव, प्रकृति और सृष्टि के प्रति सम्मान, उसकी गरिमा और रक्षा के साथ उसके नवसृजन पर बल देना है. अनावश्यक दोहन, शोषण कर समस्या उत्पन्न करना और झूठी चिंता करना नहीं है.
इसे भी पढ़ें : साहित्य के मैदान में छाया रहा एआई एस्ट्रोलॉजर का जलवा
फर्स्ट नेशंस का साहित्य आदिवासी भाषाओं में मौजूद आदिवासी विश्व दर्शन के पालन किए जाने की वकालत करता है. यह जीवन मूल्यों को थोपने या जबरन अपनाने के लिए विवश नहीं करता. बल्कि उसके प्रचार प्रसार के लिए साहित्य को माध्यम बनाकर दूसरों में रचाव और बचाव के दर्शन पहुंचाता है. आदिवासियों का साहित्य बताता है कि प्रकृति बची रहेगी तभी यह धरती और यह सृष्टि बची रहेगी. हमें भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस प्रकृति और इस धरती को बचा कर रखना है. इस मंच पर मौजूद वक्ताओं ने अपील की कि इस दुनिया को आदिवासी ही बचा सकते हैं - यह भरोसा जिन लोगों को है, उन्हें आदिवासी और आदिवासी साहित्य के पक्ष में खड़ा होना चाहिए.
इसे भी पढ़ें : रविवार को चहकता रहा बालमंडप, साइबर क्राइम से बचने के टिप्स सीखे बच्चों ने
इस संगोष्ठी के पैनल में नागालैंड की जानी मानी प्रकाशक विश रीता कोरचा, महाराष्ट्र से वरिष्ठ लेखक और प्राध्यापक डॉ तुकाराम रोंगटे, जम्मू-कश्मीर से गोजरी उर्दू की सुप्रसिद्ध लेखिका साजिया चौधरी, केरल से युवा लेखिका धान्य के. और मणिपुर के युवा लेखक जिम डब्ल्यू कासोम थे. इस पूरे कार्यक्रम का संचालन जेएनयू के एसोशियट प्रोफेसर डॉ गंगा सहाय मीणा ने किया.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
'दुनिया को सिर्फ आदिवासी ही बचा सकते हैं'