• सीमा संगसार

सुनंदा पुष्कर एक जाना माना नाम और एक भरपूर व्यक्तित्व, जिसे एक बार देख लो तो उस चेहरे पर निगाह ठहर सी जाती थी. अक्सर ऐसी स्त्रियों को ब्यूटी विद ब्रेन कहा जाता है लेकिन मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती. आखिर महिलाओं के दिमाग घुटने में तो नहीं ही होते हैं. 
जहां तक सुनंदा पुष्कर की बात है तो वह एक संभ्रांत और सुरुचिपूर्ण व्यक्तित्व की मालकिन थी. सुनंदा का नाम सुनते ही उनकी रहस्यमय मौत की खबरें स्मृतियों के गलियारे में धुंधलाने लगती हैं ठीक वैसे ही जैसे प्रिन्सेज डायना की मौत की खबरें हमें चौंकाती है.
एक रहस्यमयी मुस्कान सुनंदा के चेहरे पर हमेशा चस्पा रहती थी.

उनकी मौत की वजहें और भी रहस्यमयी हैं. उन रहस्यों की तहों में जाकर उस पर परत दर परत पर्दा उठाना किसी खोजी पत्रकारिता का ही हिस्सा हो सकता है.

यह सुनंदा पुष्कर की मौत से पहले का फ़्लैश बैक है

हमारे अजीज पत्रकार मित्र हीरेन्द्र  झा और निमिषा दीक्षित की इस अलहदा लेखक जोड़ी ने इस काम को इतनी खुबसूरती से अंजाम दिया है कि इस किताब को पढ़ते वक्त यह लगा ही नहीं कि हम कोई किताब पढ़ रहे हैं. आज से दस बीस वर्ष पहले का जो समय का पहिया था, उसे इस लेखक जोड़ी ने बड़े ही नाटकीय ढंग से घुमा कर रख दिया है.
आप इसे यूं भी कह लें कि किसी फिल्म के फ्लैश बैक की भांति आप जान पाएंगे कि सुनंदा पुष्कर की मौत से पहले क्या-क्या घटित हुआ उनके जीवन में...

" इंसान के जीवन में वृद्धावस्था वो जरूरी और आखिरी पड़ाव होता है जब इंसान उन चंद लोगों के साथ होता है जो सच में उसके साथ होते है. उससे पहले के तो सभी रिश्ते नाते किसी न किसी जरूरत या परिस्थितिवश भी बन जाते हैं और साथ रहते हैं पर अंत तक केवल वही साथ रह जाते हैं जिनसे आपके जीवन के कई लम्हे गुलजार हुए हैं."

सुनंदा को समझने के लिए ये पंक्तियांं काफी हद तक कारगर हैं. शशि थरूर के सम्मोहन में आने वाली न जाने कितनी स्त्रियों के लिए सुनंदा पुष्कर स्वयं एक रहस्य थी. हीरेन्द्र और निमिषा ने जितनी मेहनत इस किताब को लिखने में सूचनाओं को एकत्रित किया है वह काबिले तारीफ है .

शशि थरूर जो कि खुद ट्विटर पर अपने दिए गये विवादास्पद वयानों के कारण चर्चित रहे उनकी निजी जिन्दगी भी ट्विटर पर किस प्रकार हैंडल होती रही, यह जानने के लिए इस लेखक जोड़ी ने शशि थरूर, सुनंदा पुष्कर और उनसे जुड़े तमाम शख्सियतों के ट्विट्स की हिस्ट्री खंगाल डाली है.

शुक्रिया कहूंगी लेखक द्वय को,  उन्होंने सुनंदा थरूर से नहीं एक कश्मीरी पंडित सुनंदा पुष्कर से हमारा परिचय करवाया. एक आम महिला से मिलवाया जिसने अपनी जिन्दगी में न जाने कितने संघर्ष किए एक मुकाम पर पहुंचने के लिए,अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए.

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मुसीबतों के बाद भी सुनंदा की मुस्कुराहट बची रही 

कश्मीर से दुबई तक की उनकी जीवन यात्रा उतनी भी सहज नहीं थी. शशि थरूर से तीसरी शादी, एक पति की मौत और एक पति से तलाक और अपने इकलौते पुत्र का सदमे की वजह से आवाज चला जाना ऐसी मुश्किल घड़ी थी जिससे उबरने में एक भारतीय महिला सहज नहीं हो पाती है. सुनंदा की मुस्कुराहट हमेशा बरकरार रही. 

यह एक जबरदस्त प्रेम कहानी है इसमें विलेन कौन है यह अंत तक रहस्य बना रहता है.
क्या एक बहुत प्यार करने वाले हसीन प्रेमी युगल की भी हत्या हो सकती है? शायद  कभी नहीं...
अगर आप भी सुनंदा पुष्कर के निजी जीवन में झांकना चाहते हैं या एक सफल उद्यमी महिला की सफलता के मंत्र को समझना चाहते हैं तो आप सेज़ बेड ऑफ रोज़ेज पढ़ सकते हैं.

यह जीवन गुलाबों की सेज नहीं है यह तो उन कंटकाकीर्ण पथों से होकर गुजरती है जिसमें गुलाब की खुशबू को आप स्वयं महसूस कर सकते हैं.

Seema Sangsar


किताब : 'सेज: सुनंदा पुष्कर की कहानी'
लेखक: हीरेन्द्र झा और निमिषा दीक्षित
प्रकाशक: नायाब सीरीज, माय बुक्स सिलेक्ट, दिल्ली
मूल्य: 275 रुपये

(यह समीक्षा कवयित्री सीमा संगसार ने की है. यहां प्रस्तुत विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है)

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Sej the bed of roses is an impeccable lovestory of Sunanda Pushkar
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यह किताब कांटों और गुलाब बीच लिखी जबर्दस्त प्रेम कहानी है
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Hindi
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Sej the bed of roses
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