डीएनए हिंदीः महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा विवाद का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है. अमरावती से सांसद नवनीत कौर राणा (Navneet Kaur Rana) और उनके पति रवि राणा (Ravi Rana) के खिलाफ देशद्रोह का केस (sedition law) दर्ज किया गया है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर राजद्रोह का कानून है क्या और यह किन लोगों के खिलाफ लगाया जाता है. सुप्रीम कोर्ट इससे पहले कई मामलों में इस पर सवाल भी उठा चुका है. एक बार फिर इस पर बहस तेज हो गई है.
क्या है राजद्रोह कानून?
भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए में राजद्रोह को परिभाषित किया गया है. कानून के कहत अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए में राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है. इसके अलावा अगर किसी शख्स का संबंध देश विरोधी संगठन से होता है तो उसके खिलाफ भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है.
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कितना पुराना है यह कानून?
ब्रिटिश शासनकाल में इस कानून को 1870 में लागू किया गया था. उस समय इसे ब्रिटिश सरकार के विरोध में काम करने वाले लोगों पर इस्तेमाल किया जाता है. सरकार के प्रति डिसअफेक्शन रखने वालों के खिलाफ इसके तहत चार्ज लगाया जाता है. अगर किसी व्यक्ति पर राजद्रोह का केस दर्ज होता है तो वह सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है.
कितनी सजा का है प्रावधान?
राजद्रोह एक गैर जमानती अपराध है. अपराध की प्रवृत्ति के हिसाब से इसमें तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा जुर्माने का भी इस कानून में प्रावधान किया गया है.
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महात्मा गांधी पर भी दर्ज हुआ था मामला
इस कानून को अंग्रेज सरकार ने महात्मा गांधी से लेकर लाला लाजपत राय और अरविंद घोष जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के खिलाफ इस्तेमाल किया था.
केवल 2 फीसदी मामलों में हुई सजा
2014 से लेकर 2020 तक 399 लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया. इनमें से सिर्फ 125 के खिलाफ ही चार्जशीट दाखिल हो सकी. वहीं सिर्फ 8 केस में सजा सुनाई गई. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 2 फीसदी मामलों में आरोपियों को सजा सुनाई गई.
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साल दर साल बढ़ते जा रहे राजद्रोह के आकड़ें
पिछले सात सालों के आकड़ों को खंगालने पर पता चलता है कि कुल मिलाकर सरकारें राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने में उत्साह दिखा रही हैं. जहां साल 2014-17 के बीच चार साल में राजद्रोह के कुल 163 केस दर्ज किए थे. लेकिन अगले तीन सालों (2018-2020) में ये आकंड़ा करीब 70 प्रतिशत बढ़कर 236 तक पहुंच गया है.
9 राज्यों में देश के 70 प्रतिशत मामले दर्ज, असम है अव्वल
राजद्रोह के मामले में केस दर्ज करने में अव्वल राज्यों में सबसे पहला नाम असम का आता है जहां पर पिछले 7 सालों में (2014-2020) देश के करीब 16 प्रतिशत मामले दर्ज हुए हैं. उसके बाद झारखंड (40), कर्नाटक (38) और हरियाणा (37) का नम्बर आता है.नीचे सूची में दिए गए 9 राज्यों में देश के 70 प्रतिशत राजद्रोह के मामले दर्ज हुए हैं.
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राजद्रोह कानून क्या है, आखिर किसके खिलाफ दर्ज होता है Sedition Law का मामला?