डीएनए हिंदी: दुनिया जलवायु संकट (Climate Crisis) की ओर तेजी से बढ़ रही है. केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों पर भी जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है. पृथ्वी के ध्रुवों (Earth's Poles) पर भी स्थितियां अलग नहीं हैं. धुव्रों पर भी मौसम का मिजाज बदल रहा है. 

आर्कटिक और अंटार्कटिक दोनों ही जगहों पर गर्मी बढ़ रही है. वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर एक बार फिर दुनिया को आगाह किया है. पृथ्वी पर जलवायु संकट और व्यापक होता नजर आ रहा है.

अंटार्कटिक पठार (Antarctic Plateau) पर स्थित कॉनकॉर्डिया (Concordia) स्टेशन पर -20 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. आमतौर पर इन दिनों में वहां तापमान -50 डिग्री तक पहुंच जाता है. यह साफ जाहिर कर रहा है कि ध्रुवों पर भी गर्मी तेजी से बढ़ रही है. रूस के स्वामित्व वाले वोस्तोक (Vostok) स्टेशन पर भी ऐसा ही परिवर्तन देखा गया है.

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विशेषज्ञों का मानना है कि पृथ्वी के ध्रुवों पर एक साथ गर्मी बढ़ी है. अंटार्कटिका के कुछ हिस्से औसत से 70 डिग्री (40 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा गर्म हैं. आर्कटिक के क्षेत्र के कुछ हिस्से औसत से 50 डिग्री (30 डिग्री सेल्सियस) ज्यादा गर्म हैं.

Heatwave

 

बर्कले अर्थ के लीड साइंटिस्ट डॉ रॉबर्ट रोहडे (Robert Rohde) ने ट्वीट किया है, 'Dome C के रिमोट रिसर्च स्टेशन ने सामान्य से लगभग 40 डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया है. पिछले साल यह आंकड़ा 20 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था.'

 

पृथ्वी के ध्रुव क्यों गर्म हो रहे हैं?

वैज्ञानिकों का मानना था कि अंटार्कटिक के तापमान में थोड़ी गर्मी के बाद फिर गिरावट देखी जा सकती है. आर्कटिक पर भी धीरे-धीरे ऐसी स्थिति ही देखने को मिलती रही है. दोनों ध्रुवों पर एक साथ पिघले बर्फ ने जलवायु विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया है. यह बेहद अलग मौसम की ओर जाता दिख रहा है. अभी तक ऐसा देखने को नहीं मिलता था कि दोनों ध्रुवों पर एकसाथ बर्फ पिघल रही हो. नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के एक वैज्ञानिक वॉल्ट मेयर ने कहा है कि यह अप्रत्याशित है.

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वैज्ञानिकों ने दोनों ध्रुवों पर एक साथ तापमान में तेजी से वृद्धि को पृथ्वी की जलवायु में अभूतपूर्व परिवर्तन का संकेत बताया है. ध्रुवों पर बर्फ के लगातार पिघलने से कई नई परेशानियां पैदा हो सकती हैं. बर्फ पिघलने से समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ेगा. दुनिया के कई हिस्सों में समुद्र तटीय इलाके पानी में डूब सकते हैं.

क्यों ध्रुवों पर बढ़ रही है गर्मी?

वैज्ञानिकों का मानना है कि तेज हवाओं की वजह से अंटार्कटिका का तापमान बढ़ रहा है. न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर एलेक्स सेन गुप्ता ने कहा है ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण में स्थित दक्षिणी महासागर पर अलग-अलग मौसम प्रणालियां देखने को मिल रही हैं. यह ऑस्ट्रेलिया से पूर्वी अंटार्कटिका तक फैली बहुत तेज ध्रुवीय हवाओं के साथ मिलकर आगे बढ़ता है.

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डॉक्टर रोहडे ने भी बदलते मौसम पर कहा है कि अंटार्कटिका पर मौजूद स्थितियां किसी वायुमंडलीय नदी, या आकाश में जल वाष्प का व्यापक स्तर पर इकट्ठा होना है. तापमान में आई वृद्धि की एक वजह यह भी हो सकता है. डॉक्टर रोहडे का मानना है कि एटमोस्फियरिक रिवर (Atmospheric River) की वजह से ध्रुवों पर गर्मी बढ़ रही है. यह हमारी उम्मीदों से बिलकुल अलग है. अजीब घटना है. आने वाले दिनों में इसके अलग संकेत हो सकते हैं. इसे भविष्य के लिए अलग संदेश के तौर पर भी देखा जा सकता है.

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Heatwaves at both of Earth poles alarm climate scientists India World Worries
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सिर्फ देश में ही नहीं, दुनिया में भी बढ़ रही Heatwave, आखिर क्यों?
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heatwave poles (Representative Image)
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सिर्फ देश में ही नहीं, दुनिया में भी बढ़ रहा Heatwave, ध्रुवों पर भी बढ़ी गर्मी, आखिर क्यों?