डीएनए हिंदी: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi), देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की अगस्त 2022 में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें दिल्ली को उत्तर भारत में सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र बताया गया था. दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air pollution) का स्तर अक्टूबर की शुरुआत से ही खराब होने लगता है. दिवाली आते-आते धूप गायब हो जाती है और हर तरफ धुंध का गुबार नजर आने लगता है. यह कुहरा या ओस नहीं होता बल्कि प्रदूषण होता है, जिसमें लोगों का सांस लेना तक मुहाल हो जाता है. जब देश में कोविड महामारी ने दस्तक नहीं दी थी, तब भी दिल्ली के लोग, दिवाली आते-आते मास्क लगा लेते थे.
कई साल से दिल्ली की स्थिति नहीं बदली है. जैसे-जैसे दिवाली आ रही है, दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. दिवाली पास आते ही दिल्ली और आसपास के इलाके में वायु प्रदूषण के चलते कैसे रहना मुश्किल हो जाता है, आइए विस्तार से जानते हैं.
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पराली भी प्रदूषण के लिए है जिम्मेदार
दिवाली के आसपास बढ़ते प्रदूषण की एक वजह पराली भी है. धान की फसलें, अगुवा बुवाई की वजह से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में दिवाली आते-आते तैयार हो जाती हैं. फसल कटने के बाद, किसान अपने खेतों में अतिरिक्त जुताई से बचने के लिए पराली को जला देते हैं.
खेतों की पराली से उठने वाला धुआं, दिल्ली को धुंध के गुबार से ढक देता है. धुआं अपने साथ प्रदूषकों और धूल के कणों को साथ लेकर आगे बढ़ता है. दिल्ली की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां से ये धुआं किसी और जगह चला जाए. सघन आबादी की वजह से दिल्ली इनसे सबसे ज्यादा प्रभावित होती है.
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गाड़ियों से फैलने वाला वायु प्रदूषण
दिल्ली में समान्य दिनों में भी वायु की गुणवत्ता खराब स्थिति में रहती है. सघन आबादी होने की वजह से यहां गाड़ियों की संख्या भी बाकी जगहों की तुलना में ज्यादा है. ट्रैफिक की वजह से बड़ी संख्या में प्रदूषित धुआं निकलता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान ने अपने रिसर्च में यह कहा था कि दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण में गाड़ियों से निकलने वाले धुएं कम जिम्मेदार नहीं है.
त्योहारी सीजन में लोगों की आवाजाही और बढ़ जाती है. पहले नवरात्रि फिर दिवाली और छठ का उत्सव के चलते लोग ज्यादा प्राइवेट गाड़ियों का इस्तेमाल करने लगते हैं. दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की एक वजह यह भी है. तभी दिल्ली का स्मॉग दिवाली की वजह से और बढ़ जाता है.
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प्रदूषकों का सर्दी के मौसम में स्थिर हो जाना
सर्दी के मौसम में हवा में मौजूद धूल के कण और प्रदूषक स्थिर हो जाते हैं. दिवाली आते-आते ठंड दस्तक दे देती है. स्थिर और सूखी हवाओं की वजह से ये प्रदूषक तत्व हवा में ही रह जाते हैं और धुंध की शक्ल में तब्दील हो जाते हैं. यह स्मॉग के बढ़ने की प्रमुख वजह है.
दिल्ली में सतत निर्माण भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार
दिल्ली में निर्माण कार्य कभी थमता नहीं है. कंस्ट्रक्शन वर्क की वजह से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. दिवाली आते-आते प्रदूषक हवा में स्थिर होने लगते हैं. ये वायु की गुणवत्ता को खराब करते हैं और प्रदूषण को गंभीर स्थिति में पहुंचा देते हैं. औद्योगिक कचरे भी हवा में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अवयव हैं. इनकी वजह से भी स्मॉग खत्म नहीं होता है.
पटाखे जहरीले हैं लेकिन कितने?
दिल्ली में जैसे ही नवरात्रि शुरू होती है, दिल्ली के लोग फेस्टिव मूड में आ जाते हैं. पटाखों पर प्रतिबंधों के बाद भी रावण दहन होता है, पटाखे फोड़े जाते हैं और हवा में जहर घुलता रहता है. दिवाली पर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद भी पटाखे छोड़े जाते हैं. दिवाली के अगले दिन दिल्ली की हवा में सांस लेना भी मुहाल होने लगता है. सांस से संबंधित कई बीमारियां लोगों को होने लगती हैं.
भले ही पटाखों का असर सीमित अवधि के लिए हो, लेकिन इसका गंभीर असर स्वास्थ्य पर पड़ता है. केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मानें तो पटाखों से निकलने वाले तत्व शरीर के लिए खतरनाक होते हैं. पटाखों से,आरसेनिक, मरकरी, लीथियम, लेड, बेरियम, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक तत्व निकलते हैं, जिनकी वजह से हवा और जहरीली हो जाती है.
दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए क्या कर रही हैं सरकारें?
दिल्ली और केंद्र सरकार की ओर से प्रदूषण रोकने के लिए कई उपाय भी किए जाते हैं. दिल्ली में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने कुछ अहम फैसले लिए हैं. दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का स्टेज-1 लागू किया गया है. प्रदूषण बढ़ने पर दिल्ली में होने वाले निर्माण कार्यों को रोक दिया जाएगा. ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों की गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी. अगर स्थिति गंभीर हुई तो वर्क फ्रॉम होम और स्कूलों को बंद करने का भी फैसला लिया जा सकता है.
दिल्ली सरकार एंटी डस्ट कैपेंन भी चला रही है. 500 स्क्वायर मीटर से ज्यादा के निर्माण स्थल को को वेब पोर्टल पर रजिस्टर किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है. अगर, 5,000 स्क्वायर मीटर से ज्यादा बड़े इलाके में निर्माण हो रहा है, तो वहां स्मॉग गन लगाना जरूरी होगा. पराली की जगह सरकार लोगों से डिकम्पोजर डालने की अपील कर रही है. इससे खेत की नमी भी बनी रहती है और पराली भी गल जाती है.
क्या ये उपाय जनता को दे सकते हैं राहत?
प्रदूषण रोकने के सभी उपायों को लागू करना इतना आसान नहीं है. सरकार, चाहकर भी मेट्रो, अस्पताल, रोड और आपातकालीन विभागों में जारी कंस्ट्रक्शन वर्क नहीं रोक सकती है. एकसाथ सभी गाड़ियों को रोक देना, या पूरी जनता को पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर थोप देना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. आबादी ज्यादा है और पब्लिक संसाधन कम. पर्यावरण प्रदूषण, धीमे-धीमे बढ़ने वाली गंभीर समस्या है.
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हुई है लेकिन उनकी जगह पर नए पेड़ नहीं रोपे गए हैं. एयर फिल्टर का कॉन्सेप्ट अभी दिल्ली में बहुत आगे नहीं बढ़ा है. ज्यादातर लोग अपने घरों में एसी रखते हैं, उसकी वजह से क्लोरो-फ्लोरो कार्बन और R-290 जैसी गैसें हवा में फैलती हैं. सरकार कुछ भी, एक बड़े अतंराल के लिए नहीं कर सकती है. ऐसी स्थिति में लोगों को खुद अपनी देखभाल करनी होगी.
अगर हवा में प्रदूषण ज्यादा है तो कोशिश करें कि घर से बाहर न निकलें. बाहर निकलें तो मास्क जरूर लगाएं. बच्चों और बुजुर्गों का खास ख्याल रखें. अगर संभव हो तो इन दिनों में वर्क फ्रॉम होम करें. शरीर में पानी की कमी न होने दें. प्राइवेट ट्रांसपोर्ट का कम से कम इस्तेमाल करें. ये उपाय आपको थोड़ी राहत जरूर दे सकते हैं.
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दिवाली पास आते ही दिल्ली में क्यों बढ़ जाता है वायु प्रदूषण, क्या कर रही हैं सरकारें, कैसे मिले लोगों को राहत?