सरकार ने गुरुवार के दिन सदन में एक नया आंकड़ा रखा है. केंद्र सरकार की तरफ राज्यसभा को बताया कि पिछले 7 सालों 715 हाई कोर्ट जजों की नियुक्ति की गई है. ये डेटा 2018 से लेकर अभी तक का है. इन 715 जजों में 127 जज ही एससी, एसटी और ओबीसी तबके से आते हैं. साथ 37 जज अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. बाक़ी के 551 जज सवर्ण हैं, यानी कि उच्च जातियों से आते हैं. इन आंकड़ों के आने के बाद इसको लेकर राजनीति गरमा सकती है. ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब राहुल गांधी राष्ट्र स्तर पर जातिगत जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं. राहुल और कई क्षेत्रीय पार्टियां उचित हिस्सेदारी की बात कर रही है. नारा लगाया जा रहा है कि ‘जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी’. आने वाले दिनों में इन आंकड़ों को लेकर बड़े स्तर पर सियासत होने के आसार नजर आ रहे हैं.
क्या कहते हैं ये आंकड़े
715 जजों में से केवल 127 की ओबीसी, एससी और एसटी हैं. इन्हें पोलिटिकल टर्म में कई बार बहुजन भी कहा जाता है. इन 127 जजों में 22 जज अनुसूचित जाति (SC) से आते हैं. 16 अनुसूचित जनजाति (ST) से आते हैं. वहीं 89 अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आते हैं. ये आंकड़े सदन में केंद्रीय मंत्री मेघवाल की ओर से जारी किए गए. साथ ही सदन में सरकार की ओर से ये भी बताया गया कि सरकार हाई कोर्ट के जज की नियुक्ति के मामले में मुख्य न्यायाधीशों अपील भी की है कि जजों के सिलेक्शन के लिए प्रस्ताव भेजते वक्त एससी, एसटी, ओबीसी और महिला कंडीडेट का विशेष ध्यान रखें. ताकि सभी वर्गों के लोगों को प्रतिनिधित्व मिल सके.
राहुल उठा चुके हैं जातीय जनगणना का मुद्दा
राहुल गांधी कई बार जातीय जनगणना का मुद्दा उठा चुके हैं. साथ ही उचित हिस्सेदारी को लेकर भी बोल चुके हैं. राहुल गांधी की ओर से कहा जा चुका है कि दलितों और पिछड़ों के पास जातीय जनगणना का संवैधानिक राइट है, मगर ऐसा नहीं करके उनके हकों को छीना जाता है. राहुल गांधी की ओर से न्याय यात्रा के दौरान भी इन मुद्दों को उठाया था.
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Explainer: नियुक्त हुए 715 जजों में 127 ही SC-ST और OBC, क्या इससे राहुल गांधी की उचित हिस्सेदारी-जातीय जनगणना की मांग को मिलेगा बल?